आखिर क्यों हुआ भारत में तूफान की घटनाओं में 32 फीसदी का इजाफा

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पुणे:पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय इलाकों में बीते दिनों बुलबुल तूफान के बहुत तबाही मचाई। इस दौरान बंगाल में तकरीबन 7 लोगों की जान चली गई, जबकि फसलों का काफी नुकसान हुआ। इससे पहले इसी साल अप्रैल-मई में ओडिशा में फोनी तूफान ने दस्तक दी थी। हालांकि, पूर्वानुमानों के आधार पर प्रशासनिक तैयारियों की वजह से तूफान से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम करने में सफलता मिली थी।

मौसम विभाग की माने तो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले तूफान की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। विभाग के मुताबिक, पिछले एक दशक में देश में तूफान की घटनाओं में 11 फीसदी की बढ़त देखी गई है। इनमें बीते पांच सालों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखने को मिली है।

मौसम विभाग की दलील
भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि पिछले पांच सालों में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में तूफान की घटनाओं में 32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो खतरे की घंटी कही जा सकती है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल 2018 और साल 2019 में देश में 7-7 तूफान आए। इससे पहले साल 1985 इतनी मात्रा में तूफान की घटनाएं देखने को मिली थीं। वहीं, गंभीर तीव्रता वाले तूफानों की बात करें तो 2018 और 2019 में कुल 6-6 भयंकर चक्रवाती तूफान आए।

इससे पहले एक ही साल में 7 भयंकर तूफान साल 1976 में देखे गए थे। मौसम विभाग ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत में हर साल औसतन 4 तूफान आए हैं। वहीं, पिछले पांच सालों के आंकड़े देखे जाएं तो हर साल देश में औसतन 5 तूफानों ने दस्तक दी है।

ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्परिणामों की चेतावनी
विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बीते पांच सालों में देश में तूफानों की संख्या और उनकी भयावहता दोनों बढ़ी है। इनकी वजह से काफी जान-माल का नुकसान झेलना पड़ा है। इसी साल देश में पाबुक, फोनी, वायु, क्यार और बुलबुल जैसे तूफान तबाही मचा चुके हैं। मौसम अधिकारियों का कहना है कि देश में तूफानों की संख्या में ऐसी बढ़ोतरी ग्लोबल वॉर्मिंग के घातक दुष्परिणामों की ओर संकेत करती है।

क्यों है यह बदलाव?
भारत के पश्चिमी तट पर पूर्वी तट की तुलना में काफी कम चक्रवात होते हैं। यहां तक कि बंगाल की खाड़ी की ओर अरब सागर की तुलना में चार गुना ज्यादा चक्रवात होते हैं। वहीं, अरब सागर पर बनने वाले सिर्फ 25 फीसदी चक्रवात ही तट की ओर जाते हैं, जबकि बंगाल की खाड़ी पर बनने वाले 58 फीसदी तूफान तट को जाते हैं।

पिछले कुछ दशकों में पश्चिमी तट पर पहुंचने वाले चक्रवातों में से भी कुछ ही बेहद तीव्र कैटिगरी में आए हैं। पिछले महीने जारी यूनाइटेड नेशन्स इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट में कहा गया कि ग्लोबल वॉर्मिंग और समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान के कारण अरब सागर में और भी ज्यादा चक्रवात आ सकते हैं।

 

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