फिर मिलने के वादे के साथ विश्वरंग ने कहा..अलविदा

प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुख्य समाचार

11 Nov 2019,

भोपाल. पिछले 7 दिनों से मिंटो हॉल में चल रहे टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव विश्व रंग का रविवार को रंगारंग समापन हुआ। 30 देशों के 500 से अधिक कला, संस्कृति और साहित्य से जुड़े विद्वान और देश के कोने-कोने से आए हजारों लोगों ने इसमें शिरकत की। दुनियाभर से आए लोगों ने इस विश्व रंग में अपने देशों की रंगीन छटा बिखेरी। साथ ही अनेक विषयों पर विद्वानों ने मंथन किया। समापन अवसर पर ग्रैंड फिनाले के रूप में विद्यार्थियों ने रंग-बिरंगे झंडे और फिर मिलने का संकल्प लेकर विश्व रंग को विदाई दी। शाम को मिंटो हॉल के सामने प्रांगण में आतिशबाजी करके दुनिया को बताया कि विश्व रंग अनेक रंगों से रंगा हुआ रहा और हम जल्द ही फिर मिलेंगे। इस अवसर पर विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने कहा कि विचार की दृष्टि से या व्याख्या की दृष्टि से अब तक इतना बड़ा आयोजन कहीं नहीं हुआ। संतोष चौबे ने कहा कि विश्व रंग बार-बार आएगा, इसी रंग के साथ और इससे अच्छे रंगों के साथ में आएगा। उन्होनें यह भी कहा कि हमारा शहर, हमारा देश और हमारा प्रदेश इसी तरह सौहार्द्र के साथ रहे, ऐसी मेरी कामना है।

विश्वरंग के सह निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा कि हमने यह स्वप्न रबींद्रनाथ टैगोर के नाम पर देखा था, तो उनके स्वप्न को साकार करने की कोशिश विश्व रंग के साथ करते रहेंगे। हम भारत के लोकतंत्र में विश्वास करते हैं इसलिए यहां पर सभी भाषाओं, धर्म और सभ्यताओं को बराबर का स्थान देते रहेंगे। दुनिया को सुंदर बनाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।  समूची लोक भाषाओं को हम हिंदी के साथ टैगोर विश्वविद्यालय की मदद से विस्तार करते रहेंगे।

विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने यहां आए सभी कलाकार, फैकेल्टी, छात्रों, कर्मचारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों का आभार ज्ञापित किया। उन्होंने कहा हमारे देश, प्रदेश, शहर से जितने लोग भी आए हैं उनका आभार ज्ञापित करता हूं। रबींद्रनाथ टैगोर के विश्विद्यालय, डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय, आईसेक्ट विश्वविद्यालय के साथ-साथ पांचों विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों और ऑर्गेनाइजिंग टीम का आभारी हूं। विश्व रंग एक बार फिर आएगा और इससे बड़े रूप में आएगा। इससे पहले मैनिट के विद्यार्थियो के समूह तुर्यनाद ने नुक्कड़ नाटक की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

 लोक संगीत – दिल से गाया और दिल से महसूस किया– रघु दीक्षित
विश्वरंग के समापन कार्यक्रम में प्रोजेक्ट बैंड की प्रस्तुतियों पर झूमे युवा

भोपाल. टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव विश्व रंग के अंतिम दिन रविवार को “प्रोजेक्ट बैंड- रघु दीक्षित” ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। बैंड ने गीत दिल चंगा, दिल चंगा…के साथ लयबद्ध शाम का आग़ाज़ किया। मस्ती की बस्ती… सहित कई गीतों की प्रस्तुतियों पर युवा काफी देर तक थिरकते रहे।
2005 में गठित अपने बैंड और इसके अनूठे नाम के बारे में बात करते हुए रघु ने कहा कि किसी भी अन्य बैंड के विपरीत, प्रोजेक्ट एक स्थिर बैंड नहीं है। रघु के अलावा बाकी सभी सदस्य लगभग हर 6 महीने में बदलते रहते हैं। यह बैंड में नयापन रखता है और उन्हें हर बार नए संगीतकारों से मिलाता है। गीतों की अपनी शैली के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह खुद को शहरी लोक गायक मानते हैं, क्योंकि संगीत में कोई उचित प्रशिक्षण नहीं होने के कारण वह अपने दिल से गाते हैं और वही असली लोक गायन है।

उन्होंने आगे कहा कि वे ज्यादातर कन्नड़ और अन्य भाषाओं के प्राचीन साहित्य से रचनाएँ गाते हैं। वे कन्नड़ संत संत शिशुनाडा शरीफ के कामों और कई और गीतों पर भी काम करते हैं। बैंड कभी भी कोई उदास गीत या कविता नहीं गाता है क्योंकि उनका मानना है कि उनके दर्शकों को शांतिपूर्ण और प्रसन्न मन से घर जाना चाहिए। रघु ने शेफ, बेवकूफियां, मुझसे फ्रेंडशिप करोगे जैसी फिल्मों में विभिन्न गीत गाए और नवीनतम गली बॉय में उनका गीत है। विश्वरंग के समापन अवसर पर आयोजित रघु दीक्षित बैंड की प्रस्तुति के दौरान विशेष रूप से विधायक व युवा नेता कुणाल चौधरी उपस्थित थे। उन्होंने विश्वविद्यालय को विश्वरंग के सफल आयोजन की बधाई दी और कहा कि गुरुदेव के नाम पर आयोजित यह विश्व रंग युवाओं को प्रेरणा देगा जिससे वे सकारात्मक रूप से देश व प्रदेश को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। युवा वर्ग को साहित्य, कला, संस्कृति की नई सौगात विश्वरंग ने प्रदान की है जिससे कई युवा ‌भविष्य में साहित्य, कला और संस्कृति के विश्व पटल पर देश का नाम स्वर्ण अक्षरों से रेखांकित करेंगे।

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