Caste Census: जातिगत जनगणना पर BJP सांसद का बड़ा बयान- ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी’

Updated at : 01 May 2025 ,
BJP MP on Caste Census: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जाति गणना कराने के निर्णय का स्वागत करते हुए सतना से सांसद गणेश सिंह ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है. सांसद ने कहा कि यह निर्णय लंबे समय से समाज के व्यापक वर्ग की मांग थी, जिसे अब प्रधानमंत्री ने साकार करने की दिशा में ठोस पहल की है.
गणेश सिंह ने अपने बयान में कहा कि संसद की अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण संबंधी समिति, जिसके वे अध्यक्ष हैं, शुरुआत से ही जाति गणना के पक्ष में रही है. उन्होंने कहा कि समिति ने कई बार इस विषय पर केंद्र सरकार से पत्राचार भी किया है. अब जब केंद्र सरकार ने जाति गणना का निर्णय लिया है, तो यह स्वागत योग्य है और इससे सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी.
सांसद गणेश सिंह ने कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने आरोप लगाया कि 2011 में जब जाति गणना का मुद्दा उठा था, तब बीजेपी समेत कई विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की थी. विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़ों को लेकर, लेकिन कांग्रेस सरकार इस मुद्दे पर पीछे हट गई. उन्होंने यह भी कहा कि जिन राज्यों में कांग्रेस सरकारों ने जाति गणना कराई, वहां उसका उपयोग केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए किया गया, जिससे सामाजिक संतुलन बिगड़ा.
सांसद ने मोदी सरकार की अन्य उपलब्धियों का भी ज़िक्र किया, जिनमें पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा, सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण, एससी/एसटी आरक्षण को विस्तार, नारी वंदन अधिनियम, तीन तलाक का उन्मूलन, आयुष्मान भारत योजना और दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने जैसी योजनाएं शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये सारे कार्य सामाजिक न्याय की भावना को धरातल पर उतारने वाले हैं.
‘जितनी भागीदारी उतनी हिस्सेदारी का सिद्धांत’- बीजेपी सांसद
गणेश सिंह ने कहा कि जाति गणना के बाद “जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” के सिद्धांत को लागू करना संभव होगा. इससे खासतौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग के उन समुदायों को लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से उपेक्षित रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस फैसले से समाज के इन वर्गों में उत्साह का माहौल है और वे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की खुलकर प्रशंसा कर रहे हैं.
अंत में उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर प्रधानमंत्री के साथ खड़े हों और “विकसित भारत” के लक्ष्य को साकार करने में अपना योगदान दें.