MP BJP : हेमंत खंडेलवाल संघ-सत्ता की पहली पसंद क्यों बने ?

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Who is Hemant Khandelwal : हेमंत खंडेलवाल, मध्य प्रदेश बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं और यह पद जिस संगठनात्मक संतुलन के प्रतीक के रूप में उनके नाम से जुड़ा है, उसकी संपूर्ण स्वीकार्यता संघ और सत्ता दोनों ने मिलकर की है. पूर्व सीएम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सीएम मोहन यादव तथा भाजपा संगठन- इन तीनों के साथ तमाम नेता और मंत्रियों ने एक सुर में उनके नाम का समर्थन किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनके नेतृत्व में मध्य प्रदेश में नई राजनीतिक लय तैयार की जा रही है.
भोपाल. मध्य प्रदेश बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है. पार्टी ने बैतूल के विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल को यह जिम्मेदारी सौंपी है. ये फैसला किसी एक नेता की पसंद से नहीं बल्कि संघ, शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री मोहन यादव की संयुक्त सहमति से हुआ है. खंडेलवाल का चयन सिर्फ एक नाम तय करना नहीं, बल्कि पार्टी की आने वाली रणनीति की दिशा तय करने जैसा है. हेमंत खंडेलवाल को संगठन में लोग ‘भाईसाहब’ कहकर बुलाते हैं. यह सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व और भरोसे का प्रतीक है. जमीन से जुड़े, संयमित छवि वाले और लंबे वक्त से संगठन से जुड़े नेता माने जाते हैं.
हेमंत खंडेलवाल के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सहमति, पूर्व सीएम शिवराज सिंह की सहूलियत और सीएम डॉ मोहन यादव की राजनीतिक जरूरत, तीनों का तालमेल दिखा. ऐसे वक्त में जब बीजेपी को अंदरूनी एकजुटता और बूथ स्तर पर मजबूती की जरूरत है, खंडेलवाल जैसे नेता की भूमिका अहम मानी जा रही है. इस एक नाम हेमंत खंडेलवाल पर दिल्ली में भी सबने एक सुर में सहमति जता दी थी. तमाम समीकरणों महिला और आदिवासी को अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलों के बीच जब हेमंत खंडेलवाल का नाम सामने आया तो दिल्ली ने भी भरोसा जता दिया.
पारिवारिक संस्कार और सेवा के साथ आए राजनीति में
हेमंत खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद विजय कुमार खंडेलवाल ‘मुन्नी भैया’ के बेटे हैं. उनका जन्म 3 सितंबर 1964 को मथुरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ, लेकिन उनका परिवार बरसों से आदिवासी जिले बैतूल में गरीब आदिवासियों और जनता की तुरंत मदद करने वाला रहा है. उनके घर पर ग्रामीण बहुत भरोसे और अधिकार से आते रहे हैं. राजनीति में हेमंत का पहला कदम 2008 में पिता के निधन के बाद पड़ा, जब उन्होंने बैतूल लोकसभा उपचुनाव लड़ा और जीतकर सांसद बने. इसके बाद उन्होंने 2013 में बैतूल से विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने. हालांकि 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2023 के चुनाव में उन्होंने जबरदस्त वापसी करते हुए कांग्रेस के निलय डागा को हराकर एक बार फिर विधायक की कुर्सी पर कब्जा कर लिया.
हेमंत खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद विजय कुमार खंडेलवाल ‘मुन्नी भैया’ के बेटे हैं. उनका जन्म 3 सितंबर 1964 को मथुरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ, लेकिन उनका परिवार बरसों से आदिवासी जिले बैतूल में गरीब आदिवासियों और जनता की तुरंत मदद करने वाला रहा है. उनके घर पर ग्रामीण बहुत भरोसे और अधिकार से आते रहे हैं. राजनीति में हेमंत का पहला कदम 2008 में पिता के निधन के बाद पड़ा, जब उन्होंने बैतूल लोकसभा उपचुनाव लड़ा और जीतकर सांसद बने. इसके बाद उन्होंने 2013 में बैतूल से विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने. हालांकि 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2023 के चुनाव में उन्होंने जबरदस्त वापसी करते हुए कांग्रेस के निलय डागा को हराकर एक बार फिर विधायक की कुर्सी पर कब्जा कर लिया.
संगठन में अहम पद और पहचान
हेमंत खंडेलवाल प्रदेश बीजेपी के कोषाध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पद पर भी रह चुके हैं. पार्टी की आंतरिक संरचना, फंडिंग और रणनीति से उनका गहरा जुड़ाव रहा है. यही कारण है कि उन्हें संगठन और सत्ता दोनों ही भरोसेमंद चेहरा मानते हैं.
हेमंत खंडेलवाल प्रदेश बीजेपी के कोषाध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पद पर भी रह चुके हैं. पार्टी की आंतरिक संरचना, फंडिंग और रणनीति से उनका गहरा जुड़ाव रहा है. यही कारण है कि उन्हें संगठन और सत्ता दोनों ही भरोसेमंद चेहरा मानते हैं.
हमेशा जनता से जुड़े रहे
खंडेलवाल अपने क्षेत्र में सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं. उनकी कोशिशों से बैतूल में कई विकास योजनाएं धरातल पर उतरी हैं. लोगों से सीधा संवाद और कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल उनकी खासियत मानी जाती है.
खंडेलवाल अपने क्षेत्र में सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं. उनकी कोशिशों से बैतूल में कई विकास योजनाएं धरातल पर उतरी हैं. लोगों से सीधा संवाद और कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल उनकी खासियत मानी जाती है.
क्यों है यह चयन खास?
बीजेपी इस वक्त 2028 की तैयारी में जुटी है. पार्टी को ऐसा चेहरा चाहिए था, जो कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चले, संगठन में संतुलन बनाए और जनता से सीधे जुड़ा हो. हेमंत खंडेलवाल इन तीनों ही कसौटियों पर खरे उतरते हैं.
बीजेपी इस वक्त 2028 की तैयारी में जुटी है. पार्टी को ऐसा चेहरा चाहिए था, जो कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चले, संगठन में संतुलन बनाए और जनता से सीधे जुड़ा हो. हेमंत खंडेलवाल इन तीनों ही कसौटियों पर खरे उतरते हैं.