October 13, 2025

भारत की दो ‘बेटियां’ एक PM तो दूसरी राष्ट्रपति, मोदी का वेलकम करने को बेताब

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PM Modi Trinidad Tobago Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3-4 जुलाई 2025 को त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा करेंगे. यह यात्रा भारतीय प्रवासियों की 180वीं वर्षगांठ पर हो रही है. पीएम मोदी की यात्रा से दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे.

त्रिनिदाद और टोबैगो एक छोटा सा कैरेबियाई देश है, जिसकी मिट्टी में 180 साल पहले भारतीय मजदूरों के पसीने और संघर्ष की गाथा समाई हुई है. यह एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3-4 जुलाई को इस देश की आधिकारिक यात्रा पर पहुंच रहे हैं. यह यात्रा न केवल भारत-त्रिनिदाद संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि भारतीय डायस्पोरा की गौरवशाली विरासत को भी सेलिब्रेट करेगी. यह यात्रा त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय प्रवासियों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है, जिसका विशेष महत्व है.

त्रिनिदाद की 13.6 लाख की आबादी में 40-45% लोग भारतीय मूल के हैं, और वर्तमान में देश की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर दोनों भारतीय मूल की महिलाएं हैं, जो अपनी जड़ों पर गर्व करती हैं और खुद को ‘भारत की बेटियां’ कहती हैं. पीएम मोदी की यह यात्रा न केवल सांस्कृतिक और भावनात्मक बंधनों को मजबूत करेगी, बल्कि व्यापार, तकनीक और विकास के नए रास्ते भी खोलेगी.

भारतीयों का गौरवशाली इतिहास

30 मई 1845 को, जब एक जहाज ‘फातेल रजाक’ त्रिनिदाद के तट पर 225 भारतीय मजदूरों को लेकर पहुंचा, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये मजदूर एक दिन इस देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा बन जाएंगे. उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ग्रामीण इलाकों से इन लोगों को अंग्रेज यहां गन्ने के खेतों में काम करने के लिए लाए थे. कठिन परिस्थितियों, भाषाई बाधाओं और सांस्कृतिक अलगाव के बावजूद, इन भारतीयों ने अपनी मेहनत, लगन और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा. आज, उनके वंशज, जो पांचवीं और छठी पीढ़ी में हैं, त्रिनिदाद और टोबैगो की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं.
इन प्रवासियों ने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान को भी बनाए रखा. होली, दीवाली, रामलीला और भोजपुरी लोक संगीत आज त्रिनिदाद की संस्कृति का हिस्सा हैं. योग की लोकप्रियता भी बढ़ी है, और 2024 में 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर क्वीन्स पार्क सवाना में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया था. भारतीय डायस्पोरा ने शिक्षा, राजनीति, व्यापार और कला के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी है. राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर इसका जीवंत उदाहरण हैं, जो भारतीय मूल की पहली महिला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व कर रही हैं.

पीएम मोदी की यात्रा एक ऐतिहासिक मौका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली यात्रा है. 3-4 जुलाई को होने वाली इस यात्रा में पीएम मोदी त्रिनिदाद की संसद को संबोधित करेंगे, जो दोनों देशों की साझा लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रतीक है. यहां याद दिला दें कि त्रिनिदाद की संसद में स्पीकर की कुर्सी भारत ने ही 1968 में भेंट की थी, जो दोनों देशों के बीच गहरे लोकतांत्रिक रिश्तों का प्रतीक है.

पीएम मोदी यहां राष्ट्रपति कंगालू और प्रधानमंत्री बिसेसर के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता करेंगे, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और खेल जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा होगी. त्रिनिदाद और टोबैगो ने भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को अपनाने वाला पहला कैरेबियाई देश बनने का गौरव हासिल किया है, और इस यात्रा में कई समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. भारत ने त्रिनिदाद को पहले कोविड वैक्सीन और कृषि उपकरण भी प्रदान किए हैं, जो दोनों देशों के बीच मजबूत विकास साझेदारी को दर्शाते हैं.

भारतीयों से भारत की बात

पीएम मोदी की यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण कूवा के नेशनल साइक्लिंग वेलोड्रोम में आयोजित एक विशाल डायस्पोरा कार्यक्रम होगा, जिसमें हजारों भारतीय मूल के लोग हिस्सा लेंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, त्रिनिदाद का भारतीय समुदाय इस यात्रा को लेकर उत्साहित है. यह आयोजन न केवल 180 साल पुरानी भारतीय विरासत का उत्सव होगा, बल्कि भारत और डायस्पोरा के बीच भावनात्मक बंधन को और मजबूत करेगा. पीएम मोदी ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस (2025) में डायस्पोरा की भूमिका की सराहना करते हुए कहा था, ‘भारतीय डायस्पोरा भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.’

इसके अलावा, पीएम मोदी 4 जुलाई को संसद भवन में एक पौधरोपण समारोह में हिस्सा लेंगे और त्रिनिदाद के सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो’ से सम्मानित किए जाएंगे. यह सम्मान भारत और त्रिनिदाद के बीच गहरे रिश्तों का एक और प्रतीक है.

भारत-त्रिनिदाद रिश्तों की एक नई शुरुआत

भारत और त्रिनिदाद के बीच राजनयिक संबंध 1962 में स्थापित हुए थे, और तब से दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखे हैं. भारतीय संस्कृति का प्रभाव त्रिनिदाद में स्पष्ट दिखता है, जहां भोजपुरी नृत्य, कथक और राजस्थानी लोक नृत्य जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शन नियमित रूप से आयोजित होते हैं.
पीएम मोदी की इस यात्रा से भारत और त्रिनिदाद के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. भारत ने त्रिनिदाद को फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य और डिजिटल तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है. त्रिनिदाद के साथ भारत का व्यापार वर्तमान में 300 मिलियन डॉलर से अधिक है, और इस यात्रा से इसे और बढ़ाने की संभावना है.

ग्लोबल साउथ में भारत का रोल

पीएम मोदी की यह यात्रा उनके पांच देशों (घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील, नामीबिया) के दौरे का हिस्सा है, जो भारत की ग्लोबल साउथ के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. त्रिनिदाद और टोबैगो, जो कैरेबियाई क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण छोटा द्वीपीय विकासशील देश है, भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन, डिजिटल समावेशन और खाद्य सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को बढ़ाएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा एक ऐतिहासिक अवसर है, जो 180 साल पहले शुरू हुई भारतीय प्रवासियों की यात्रा को सम्मान देगी और भविष्य के लिए नए रास्ते खोलेगी. यह यात्रा भारत की सांस्कृतिक विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक दक्षिण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है. त्रिनिदाद की मिट्टी में बसे भारतीय डायस्पोरा के लिए यह गर्व का क्षण है, और पीएम मोदी की उपस्थिति उनकी खुशियों को चौगुनी करने का वादा करती है. यह यात्रा न केवल भारत और त्रिनिदाद के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक बंधनों को मजबूत करेगी, बल्कि एक नई साझेदारी की नींव भी रखेगी, जो दोनों देशों को वैश्विक मंच पर और करीब लाएगी.

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