September 11, 2025

पितृपक्ष स्पेशल ट्रेन : भोपाल से गया तक सीधी सेवा, जानें पूरी डिटेल

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भोपाल. पितृपक्ष 2025 (7 से 21 सितंबर तक) के अवसर पर श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए पश्चिम मध्य रेलवे ने भोपाल (रानी कमलापति) से बिहार के गया के बीच दो विशेष ट्रेन सेवाएं संचालित करने का निर्णय लिया है. पहला स्पेशल 01661 ट्रेन 7, 12 और 17 सितंबर को भोपाल से रवाना होगी, और अगली सुबह 9:30 बजे गया पहुंचेगी. वापसी में 01662 ट्रेन 10, 15 और 20 सितंबर को दोपहर 2:15 बजे गया से चलेगी और सुबह 10:45 बजे भोपाल पहुंचेगी. ट्रेन में एसी, स्लीपर और जनरल कोच होंगे और यह मार्ग विदिशा, दमोह, कटनी, सतना, प्रयागराज छिवकी, मिर्जापुर समेत कई प्रमुख स्टेशनों से होकर गुजरेगी. यात्रियों के लिए IRCTC और आरक्षण केंद्रों से टिकट बुक किया जा सकता है. 

पितृपक्ष 2025, जो 7 से 21 सितंबर तक चलेगा, हिन्दू समाज में पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का महत्वपूर्ण समय होता है. इस अवधि को ध्यान में रखते हुए, पश्चिम मध्य रेलवे ने भोपाल से गया तक टिकटिंग सुविधा में सुधार करते हुए दो स्पेशल ट्रेन सेवाएं शुरू की हैं: 01661 (भोपाल → गया) और 01662 (गया → भोपाल).
शेड्यूल और सुविधा
ट्रेन 01661, 7, 12, 17 सितंबर को दोपहर 1:20 बजे रानी कमलापति से प्रस्थान करेगी; अगले दिन सुबह 9:30 बजे गया पहुंचेगी. जबकि ट्रेन 01662, 10, 15, 20 सितंबर को दोपहर 2:15 बजे गया से रवाना होगी; अगले दिन सुबह 10:45 बजे भोपाल पहुंचेगी. इसमें AC, स्लीपर और जनरल कोच शामिल हैं; जिन्हें यात्री अपनी सुविधा और बजट के अनुरूप चुन सकते हैं.
रूट विवरण
ये ट्रेनें भोपाल, विदिशा, गंजबासौदा, सागर, दमोह, कटनी, सतना, प्रयागराज छिवकी, मिर्जापुर, पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, भभुआ रोड, सासाराम, डेहरी-ऑन-सोन व अनुग्रह नारायण रोड सहित कई महत्वपूर्ण स्टेशनों से होकर गुजरेंगी. इस रूट से मध्य प्रदेश के कई ज़िले सीधे लाभान्वित होंगे.
बिहार के गया में श्राद्ध पक्ष का महत्व
बिहार के गया में पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष के दौरान पिंडदान का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस समय यहाँ पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे सीधे स्वर्गलोक जाते हैं. गया को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है, इसलिए इसे ‘मोक्ष स्थली’ भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम और माता सीता ने भी यहाँ अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था. कहा जाता है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों की 108 पीढ़ियों और मातृ पक्ष की 22 पीढ़ियों को मुक्ति मिल जाती है. यहाँ फल्गु नदी के तट पर और विष्णुपद मंदिर में पिंडदान, तर्पण और अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं. इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से गया आते हैं. वे पिंडदान कर अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और उन्हें मुक्ति दिलाने की कामना करते हैं. गया में श्राद्ध करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. यही कारण है कि गया को पिंडदान के लिए सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है.

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