September 11, 2025

चीन ने 3 लाख सैनिकों की छुट्टी की, इस कदम के पीछे छुपा है ‘ड्रैगन’ का ‘विनाशक’ प्लान

0
three-lakh-troops-cut-completed-china-mplive.co.in

Updated: Mar 30, 2018

बीजिंग: दुनियाभर के देश अपने-अपने हिसाब से सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटे हैं. इसी कड़ी में पड़ोसी देश चीन अपनी ताकत बढ़ाने के लिए जवानों की संख्या में कटौती की नीति पर काम कर रहा है. चीन की सेना ने कहा कि उसने तीन लाख जवानों की सेवा से कटौती के अपने लक्ष्य को पूरा कर लिया है और आने वाले समय में और सुधार किए जाएंगे. चीनी रक्षा प्रवक्ता कर्नल रेन गुओकियांग ने संवाददाताओं को बताया, ‘सेना में तीन लाख कर्मियों की कटौती करने के लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है.’ उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना और देश की ओर से किया गया यह एक महत्वपूर्ण निर्णय और राजनीतिक घोषणा थी.

राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वर्ष 2015 में यह घोषणा की थी कि दुनिया के सबसे बड़ी सेना में तीन लाख कर्मियों की कटौती की जाएगी. चीन ने इस बार अपने रक्षा बजट में बेतहाशा बढ़ोतरी कर इसे 175 अरब डॉलर कर दिया है. आइए समझने की कोशिश करते हैं आखिर जवानों की संख्या क्यों घटा रहा है चीन.

सैनिकों की सैलरी के बजाय सेना के आधुनिकीकरण पर फोकस : भारत के पास करीब 14 लाख सैनिक हैं, वहीं इस मामले में चीन का आंकड़ा करीब 20 लाख है. मौजूदा वक्त में सैनिकों से युद्ध का चलन कम होता जा रहा है. इसके बजाय आधुनिक हथियारों से लड़ाई लड़ी जाती हैं. इस बात को ऐसे समझें कि भारत सरकार रक्षा के लिए जितना बजट आवंटित करती है उसका करीब 90 फीसदी हिस्सा सैनिकों पर खर्च हो जाता है, जिसके चलते सेना के आधुनिकीकरण पर खर्च के लिए मामूली रकम बचती है. अगर जवानों की संख्या कम कर दी जाए तो उन्हें ज्यादा अत्याधुनिक हथियार, कपड़े आदि संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं. चीन इस फॉर्मूले को समय-समय पर अपनाता रहा है.

साल 1985 में चीन ने 10 लाख जवानों की संख्या कम कर दी थी. 1997 में पांच लाख और 2003 में दो लाख जवानों की संख्या में कटौती की थी. 2015 से अब तक चीन ने अपनी आर्मी से तीन लाख मैनपावर को कम कर लिया है. इन जवानों पर खर्च होने वाली राशि बचत होने से इन्हें फाइटर प्लेन, युद्धपोत, आधुनिक पनडुब्बी, मिसाइल, कृत्रिम खुफिया क्षमता, स्पेस और साइबर वॉर में विशेषज्ञता और आधुनिक प्रशिक्षण पर खर्च किया जाएगा.

भारत भी अपना सकता है यह फॉर्मूला: साल 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सेना के आधुनिकीकरण के मुद्दे पर बातचीत हुई थी. इसके बाद सेना में सुधार के लिए लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी. इस समिति ने 99 सिफारिशें की थीं, जिसमें सेना के विशालकाय स्वरूप में कटौती का भी सुझाव दिया गया था.

जानकार कहते हैं कि चीन सैन्य ताकतों को लेकर भविष्य की तैयारियों में जुटा है. यह देश अपनी सेना को पारंपरिक चोले से निकाल आधुनिक खांचे में शिफ्ट कर रहा है. ऐसे में यह समझने की भूल कतई नहीं की जाए कि चीन अपनी सेना में जवानों की संख्या कम करके अपनी सैन्य ताकत को कमजोर कर रहा है. चीन अपने हर सैनिक को अत्याधुनिक संसाधन से लैस करके इतना अधिक ताकतवर बना देना चाहता कि वह विरोधियों की टुकड़ी पर भारी पड़े.

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed