September 11, 2025

रूस की बढ़ेगी टेंशन! जंग के बीच जेलेंस्की नाटो समिट के लिए आमंत्रित

0
zelensky-invited-to-nato-summit

Published on: June 10, 2022,

NATO Summit 2022: रूस और यूक्रेन के बीच जिस मुद्दे पर जंग छिड़ी, वह मुद्दा आज फिर गरमा गया है। दरअसल, रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो देशों के समूह में शामिल हो, लेकिन जेलेंस्की को 28-29 जून को मैड्रिड में होने जा रहे नाटो शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जा रहा है।

रूस ने यूक्रेन पर हमला ही इसलिए किया था क्योंकि वह नाटो में जाने को बेताब था। अब 100 दिन से ज्यादा जंग लड़ने के बाद जेलेंस्की का नाटो शिखर सम्मेलन में जाना और नाटो के उप महासचिव मिरसिया जियोना का ये कहना कि नाटो के शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के शामिल होने पर निर्णय लेने की उम्मीद है। यह बड़े नाटकीय घटनाक्रम हैं, जिनसे रूस और बौखला भी सकता है। हालांकि 100 दिन जंग लड़ने पर भी रूस के हाथ अभी भी कुछ निर्णयात्मक सफलता हाथ नहीं लग पाई है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ज़ेलेंस्की को 28-29 जून को मैड्रिड में नाटो शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाएगा। नाटो के उप महासचिव मिरसिया जियोना ने कहा कि नाटो से यूक्रेन पर शिखर सम्मेलन में निर्णय लेने की उम्मीद है।

जेलेंस्की पर मेहरबान है अमेरिका और यूरोपीय देश

जेलेंस्की पर अमेरिका और यूरोप मेहरबान है। यूक्रेन को सैन्य और अन्य आर्थिक मदद के लिए इन देशों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। यही कारण है कि वह रूस के साथ युद्ध् में टिका हुआ है। हाल ही में रूस के धमकियों को दरकिनार करके ब्रिटेन ने भी सैन्य मदद यूक्रेन को की है।

अमेरिका कर रहा यूक्रेन को सैन्य और अन्य मदद

वहीं जब रूस ने पिछले दिनों विजय दिवस मनाया था। उसके एक दिन बाद ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने यूक्रेन को 40 अरब डॉलर की सहायता देने वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर उसे मंजूरी प्रदान कर दी थी। अमेरिका यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहा है। जाहिर है ऐसी मदद यूक्रेन को मिलती रही, तो वह रूस के हमले से क्यों डरेगा। यूक्रेन चाहेगा कि कैसे भी हो, वह नाटो में शामिल हो जाए।

अमेरिका ने अभी पूरे नहीं खोले पत्ते

वहीं अमेरिका भी स्थिति को देखते हुए इस पर अपने पत्ते खोलेगा। अमेरिका जानता है कि लगातार 100 दिन जंग करके रूस कुछ हताश तो हुआ है। अगर यही हाल रहा तो रूस को ठेंगा दिखाते हुए यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के फैसले पर वह आगे बढ़ सकता है। हालांकि अभी सबकुछ ‘रुको और देखो’ की नीति की तरह ही हो रहा है। हालांकि रूस और यूक्रेन में वार के बीच फिनलैंड और स्वीडन नाटो में जाने की घोषणा कर चुके हैं। रूस को रोकने के लिए नाटो में और सदस्य देशों का शामिल होना यूरोप और अमेरिका के देशों के लिए फायदेमंद है।

अमेरिका को इस बात की है ज्यादा चिंता

विशेषज्ञ कहते हैं कि रूस यदि लगातार युद्ध से कुछ कमजोर हुआ तो चीन व रूस के बीच अमेरिका के बनने वाला भविष्य का संभावित गुट उतना ताकतवर नहीं रह पाएगा। क्योंकि चीन पूरी तरह रूस का समर्थन करता है। चीन, रूस और उत्तर कोरिया मिलकर एक गुट बना सकते हैं, इस बात को अमेरिका भी जानता है। हालांकि इस पर अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन चीन को भी अमेरिका नजरअंदाज नहीं करना चाहता।

फिलहाल रूस और यूक्रेन जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का इस माह के अंतिम दिनों में नाटो शिखर सम्मेलन में शामिल होना अंतरराष्ट्रीय जगत की सुर्खियों में रहेगा। वर्ल्ड डिप्लेमेसी में भी यह अहम होगा। इसके बाद के परिदृश्य भी इस बैठक से तय हो सकते हैं।

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed