October 25, 2025

Bhai Dooj 2020: कैसे शुरू हुआ भाई दूज का पर्व ?

0
bhai-dooj-2020-mplive

16 NOV 2020,

भाई दूज (Bhai Dooj 2020) भाइयों के प्रति बहनों की श्रद्धा और विश्वास का पर्व है. इस पर्व को हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन ही मनाया जाता है. भाईदूज मनाने की वजह क्या है इस बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है. भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं.

भाई दूज के पर्व पर यम देव की भी पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार जो यम देव की उपासना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. हिंदुओं के बाकी त्योहारों कि तरह यह त्योहार भी परंपराओं से जुड़ा हुआ है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं.

ऐसे हुई भाई दूज की शुरुआत- भाई दूज के विषय में एक पौराणिक मान्यता के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था. कथा के अनुसा,  यम देवता ने अपनी बहन को इसी दिन दर्शन दिए थे. यम की बहन यमुना अपने भाई से मिलने के लिए अत्यधिक व्याकुल थी. अपने भाई के दर्शन कर यमुना बेहद प्रसन्न हुई. यमुना ने प्रसन्न होकर अपने भाई की बहुत आवभगत की.

यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेगें तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी. इसी कारण से इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन आस्था की डुबकी लेते हैं. इसके अलावा यम ने यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए. तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है.

इन चीजों के बिना अधूरी भाई दूज की थाली- भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उस पर पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखा जाता है. उस पर जल उड़ेलते हुए भाई की दीर्घायु के लिये मंत्र बोला जाता है. भाई अपनी बहन को उपहार देते है. भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, पान, सुपानी, नारियल, फूल माला और मिठाई होना जरूरी है.

बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है. इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रूप से शुभ होता है. मिथिला नगरी में इस पर्व को आज भी यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है. इस दिन चावलों को पीसकर एक लेप भाइयों के दोनों हाथों में लगाया जाता है. साथ ही कुछ स्थानों में भाई के हाथों में सिंदूर लगाने की भी परंपरा देखी जाती है.

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *