October 26, 2025

Ground Report: इस जिले में बीच सड़क करना पड़ता है अंतिम संस्कार, नेता हैं वजह ?

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भिंड. मध्य प्रदेश के भिंड जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां मुक्तिधाम न होने के कारण ग्रामीणों को खुले में अंतिम संस्कार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. यहां ग्रामीणों ने त्रिपाल लगाकर मृतक का अंतिम संस्कार किया. इस घटना का वीडियो भी सामने आया. इस वीडियो को जिसने देखा वो हैरानी में पड़ गया. लोगों का आरोप है कि न नेता और न ही अधिकारी इस बात पर ध्यान दे रहे हैं. कई बार इन जिम्मेदारों को वास्तविक स्थिति बताई गई, लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी.

बता दें, हाल ही में भिंड जिले में दो दर्दनाक घटनाएं हुईं. पहली घटना भिंड जिले के गोहद जनपद की ग्राम पंचायत एंडोरी के मनोहर पुरा गांव में हुई. जबकि, दूसरी घटना भिंड जनपद की ग्राम पंचायत कचोंगरा में हुई. पहली घटना में ग्रामीणों को दलित मृतक चंदन सिंह के शव का अंतिम संस्कार घर के सामने टीन लगाकर करना पड़ा. जबकि, दूसरी घटना में लोगों को मृतक कल्लू तोमर के शव का अंतिम संस्कार त्रिपाल लगाकर करना पड़ा. इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ. मृतक चंदन सिंह के भाई चंद्रभान माहौर ने बताया कि उनके बुजुर्ग भाई चंदन की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. उसी वक्त तेज बारिश भी हो रही थी. चूंकि, यहां मुक्तिधाम तक जाने के लिए रास्ता नहीं है. इसलिए हमने मजबूरन घर के सामने त्रिपाल लगाकर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया. इस मामले को लेकर  टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर मामले की पड़ताल की.

लोगों ने बताई आपबीती
लोगों ने टीम को बताया कि हमारे गांव में प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही दिखाई देती है. उन्होंने गांव में मुक्तिधाम तो बनवा दिया, लेकिन वहां तक शव ले जाने के लिए सड़क अभी तक नहीं बनी है. सर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम में लोगों को खेतों से होकर गुजरना पड़ता है. लेकिन, बारिश अधिक होने से खेतों में घुटनों-घुटनों तक पानी भरा हुआ है. ऐसे में मुक्तिधाम तक पैदल पहुंचना नामुमकिन है.

सरकारी अस्पताल भी नहीं जा सकते
गांववालों ने बताया कि मुक्तिधाम तक रास्ता न होने कि समस्या आजादी के समय से ही है. इस बारे में उन्होंने कई बार सरपंच, सचिव से शिकायत की, मगर सुनवाई नहीं हुई. बता दें, मनोहर पुरा गांव की आबादी 1500 है. यहां 915 के आसपास वोटिंग है. अगर गांव में कुल घरों की बात करें तो 200 के करीब घर हैं. कचोंगरा की जनसंख्या 600 से ज्यादा है.  फिर भी, मुक्तिधाम और सरकारी अस्पताल तक जाने का रास्ता नसीब नहीं हो रहा.

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