October 26, 2025

सामने आई मध्य भारत में भीषण बारिश व बाढ़ की वजह

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A family collects their goods before leaving their submerged home after flash floods at Goainghat sub-distric in Sylhet, Bangladesh on June 19, 2022. Monsoon storms in Bangladesh and India have killed at least 59 people and unleashed devastating floods that left millions of others stranded, officials said. (Photo by Syed Mahamudur Rahman/NurPhoto)NO USE FRANCE

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और ओडिशा समेत मध्य भारत के कई इलाकों में भारी बारिश से भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा. 20 साल बाद हुई ऐसी मूसलाधार बारिश का कारण रहा है अगस्त में बंगाल की खाड़ी में लगातार बने 3 कम दबाव के क्षेत्र. जिसकी वजह से मध्य प्रदेश और ओडिशा में मौसम की सबसे खराब बाढ़ आई. करीब 20 वर्षों में यह शायद दूसरी बार था जब बंगाल की खाड़ी में अगस्त में लगातार 3 तीव्र निम्न दबाव प्रणालियों का आकलन किया गया. इनमें से दो कम दबाव में और एक गहरे दबाव में बदल गया. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आखिरी बार ऐसा 2006 में हुआ था, जब अगस्त में चार मानसूनी दबाव बने थे.

दक्षिण कोरिया के जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी के टाइफून रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता विनीत कुमार ने कहा कि, आम तौर पर अगस्त में 1-2 डिप्रेशन देखे जाते हैं, लेकिन पिछले दो दशकों में हमने उनकी संख्या में कमी देखी है. लेकिन इस साल तीन कम दबाव के क्षेत्र देखने को मिले, जो सामान्य से काफी ज्यादा हैं. मध्य भारत और आसपास के राज्यों को कवर करने वाले मुख्य मानसून क्षेत्र में भारी बारिश लाने में मानसून डिप्रेशन की यह संख्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

इस तीव्र मानसून विक्षोभ के कारण इस पूरे क्षेत्र की नदियों में बाढ़ आ गई, जिससे लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ. इसका सबसे ज्यादा असर ओडिशा और मध्य प्रदेश में देखने को मिला. शहरी इलाकों में राजधानी भोपाल में लंबे समय तक बाढ़ का प्रकोप दिखा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक एम महापात्रा ने कम दबाव वाले सिस्टम की सीरीज को मानसून के लिए एक अच्छा संकेत करार दिया औ कहा कि ये डिप्रेशन 1 जून से शुरू होने वाले चार महीने के मौसम के दौरान होने वाली अधिकांश बारिश के लिए जिम्मेदार हैं.

‘मानसून के लिए अच्छा संकेत’

एम महापात्रा ने News18 को बताया कि, ‘हमें आम तौर पर मानसून के दौरान 13 लो-प्रेशर सिस्टम मिलता है, जिनमें से 5-6 दबाव में तेज हो जाते हैं. इस सीज़न में अब तक हमारे पास 9 लो-प्रेशर सिस्टम हैं, जिनमें चार डिप्रेशन शामिल हैं. इसलिए यह अब तक बेहतर है. 26 अगस्त तक मध्य भारत में 23 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जबकि पूरे देश में 8 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है. राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित कुल 36 सब डिवीजन में से 13 में बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे.

महीने का पहला निम्न दबाव का क्षेत्र 6 अगस्त की शाम को बंगाल की उत्तर-पश्चिमी खाड़ी के ऊपर बना, जो तेजी से एक डिप्रेशन में बदल गया और 6-11 अगस्त के दौरान ओडिशा और छत्तीसगढ़ को पार करते हुए मध्य प्रदेश की ओर बढ़ गया. इसके तुरंत बाद 13 अगस्त की सुबह बंगाल की उत्तरी खाड़ी में एक और लो प्रेशर सिस्टम देखने को मिला. यह भी एक डिप्रेशन में बदल गया और ओडिशा व छत्तीसगढ़ को पार करने के बाद पश्चिम की ओर मध्य प्रदेश में चला गया और 19 अगस्त तक कमजोर हो गया. भारी बारिश के बाद पूरे क्षेत्र में बाढ़ आ गई, जिससे लाखों लोग बुरी तरह प्रभावित हुए.

जैसे ही दूसरा सिस्टम खत्म होने लगा 18 अगस्त की सुबह उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक और निम्न दबाव का क्षेत्र बनना शुरू हो गया और यह भी आगे चलकर गहरे डिप्रेशन में बदल गया और पश्चिम बंगाल के तट को पार कर गया. 24 अगस्त के आसपास मध्य प्रदेश में कमजोर होने से पहले यह सिस्टम भी दक्षिण झारखंड, उत्तरी ओडिशा और छत्तीसगढ़ में चला गया. इस दौरान गुजरात से ओडिशा तक फैले नौ सब डिवीजन में सप्ताह के दौरान अतिरिक्त बारिश देखी गई.

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