September 12, 2025

कैंसर के इलाज में आयुर्वेद पर भरोसा! इंदौर के इस अस्पताल में हर साल बढ़ रही मरीजों की संख्या

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इंदौर: बदलते वक्त के साथ लोगों की सोच में बदलाव आया है. अब लोग गंभीर बीमारी के लिए आयुर्वेद पर भरोसा करने लगे हैं. जानकर हैरानी होगी कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों के मरीज इस अस्पताल में उपचार कराने इंदौर पहुंच रहे हैं. इंदौर के अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में दिनों दिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. उनका सफल इलाज भी हो रहा है.

अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज के डॉ. अखिलेश भार्गव ने बताया कि आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर का इलाज कराने वाले मरीजों का भरोसा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि यहां पर इलाज कराने वाले या इलाज करा चुके मरीजों के अनुभव सुनकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों के मरीज आ रहे हैं. लगभग 4 साल में 1000 से ज्यादा हर प्रकार के कैंसर मरीज इलाज कराने आ चुके हैं.

इस वजह से बढ़ा भरोसा
अकेले इंदौर में ही शासकीय और निजी अस्पतालों में कैंसर के लगभग 10 हजार मरीज हर साल इलाज कराने आते हैं. एलोपैथिक पद्धति के अंतर्गत मरीजों की कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, सर्जरी एवं अनेक प्रकार की अन्य चिकित्सा के चलते मरीजों में साइड इफेक्ट बहुत खतरनाक हो रहे हैं. काफी दिनों तक इलाज कराने के बाद भी कैंसर के फैलने की संभावना बनी रहती है. कैंसर के उपचार के दौरान होने वाले घाव नहीं भरते हैं और मरीजों को कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी के अनेक नुकसान सामने दिखाई देते हैं. इसी वजह से अब मरीजों का आयुर्वेदिक पद्धति के प्रति भरोसा बढ़ता जा रहा है.

इस तरह बढ़ते गए मरीज
डॉ. भार्गव ने बताया कि अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में साल 2020 में कैंसर का इलाज लेने वाले महिला-पुरुष मरीजों की संख्या 73 थी. साल 2021 में 231, साल 2022 में कैंसर के मरीजों की संख्या 412, साल 2023 में कैंसर मरीजों की संख्या 526 थी. इस साल जनवरी से अभी तक लगभग 438 कैंसर के मरीज आयुर्वेद पद्धति से इलाज करवा रहे हैं. यहां लोगों के उन जख्मों का इलाज भी किया जाता है, जो उन्हें कैंसर से मिलते हैं. उन्हे पंचकर्म चिकित्सा से ठीक करने की पूरी कोशिश होती है, जिसमे शत प्रतिशत परिणाम मिलता है. लोगों का आयुर्वेद पर भरोसा इसलिए भी है, क्योंकि हर जरूरतमंद को इलाज मिल रहा है.

मरीजों के अनुभव
मो. साहिर के परिजन कहते हैं कि तंबाकू और जर्दा खाने से मुंह का कैंसर हुआ. एलोपैथिक के कई उपचार करवाने के बाद आयुर्वेद का सहारा लिया और फायदा मिला. नवी मुंबई से आई साधना गुप्ता बताती हैं कि मुंह के कैंसर का 2019 में इलाज कराया, लेकिन उसके साइड इफेक्ट्स दिखने लगे. खाना निगलने और सिरदर्द जैसी परेशानी होने लगी. ऐसे में आयुर्वेद को सहारा लिया, जिससे फायदा मिला.

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