देश आगे बढ़ा फिर पीछे क्यों रह गया MP? इंटरनेट सुविधाओं में सबसे कमजोर

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मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की स्थिति बेहद खराब है. शिक्षा मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट UDISE+ 2024-25 के मुताबिक, राज्य इस मामले में देश में चौथे सबसे नीचे है. सिर्फ अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मणिपुर ही उससे नीचे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में केवल 35.3% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा है. वहीं कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ये आंकड़ा 100% है जैसे दिल्ली, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुडुचेरी. देशभर के 25 से ज़्यादा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी स्कूलों में इंटरनेट सुविधा 50% से अधिक है. ये आंकड़े ऐसे समय पर आए हैं जब राज्य की साक्षरता दर लगातार घट रही है.
केंद्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, मध्यप्रदेश की साक्षरता दर 2021-22 में 76.7% थी, जो घटकर 2022-23 में 76.4% और 2023-24 में 75.2% रह गई.
लगातार तीन साल से गिरावट
वहीं राष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दर में सुधार देखा गया है 2021-22 में 79.7%, 2022-23 में 80.3%, और 2023-24 में बढ़कर 80.9% हो गई.
देश आगे बढ़ा, मगर एमपी पीछे रह गया
इस गिरावट की पुष्टि खुद केंद्र सरकार ने राज्यसभा में 21 जुलाई को की थी, जब Periodic Labour Force Survey (PLFS) का हवाला देकर ये बताया गया कि एमपी की साक्षरता दर घट रही है और हैरानी की बात यह कि राज्य सरकार खुद अपने ताज़ा आंकड़े नहीं जानती.
13 मार्च को विधानसभा में शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने लिखित जवाब में कहा कि 2011 की जनगणना के बाद से भारत सरकार ने कोई नई जनगणना नहीं की है, इसलिए वर्तमान साक्षरता दर बताना संभव नहीं है. 2011 की जनगणना के अनुसार, एमपी की साक्षरता दर 69.3% थी.
रिपोर्ट बताती है कि जब देश भर में स्कूल शिक्षा में डिजिटल कनेक्टिविटी और ऑनलाइन लर्निंग को बढ़ावा दिया जा रहा है, तब मध्यप्रदेश के हजारों सरकारी स्कूल अब भी ‘आउट ऑफ नेटवर्क’ हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और डिजिटल अंतराल दोनों और बढ़ सकते हैं. सरकार को चाहिए कि स्कूलों में इंटरनेट एक्सेस को प्राथमिकता दे, ताकि बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जा सके वरना आने वाले सालों में ‘लर्निंग गैप’ और चौड़ा होगा.