September 11, 2025

राजगढ़ की SDM प्रिया वर्मा से बदसलूकी के मामले में केस दर्ज, दिग्विजय ने BJP पर साधा निशाना

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राजगढ़, 20 जनवरी 2020,

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में तिरंगा यात्रा निकालने के मामले में 150 लोगों पर केस दर्ज किया गया है. इसमें 12 नामजद हैं. धारा 144 लागू होने के बाद भी ब्यावरा में लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली. इस दौरान डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा के साथ अभद्रता भी की गई. अभद्रता के मामले में दो आरोपियों पर धारा 353 व 354 के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें एक नामजद और एक अज्ञात है.

इस मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि राजगढ़ में बीजेपी की गुंडागर्दी सामने आ गई. महिला जिला कलेक्टर और महिला एसडीएम अधिकारियों को पीटा गया. बाल खींचे गए. महिला अधिकारियों की बहादुरी पर हमें गर्व है.

दरअसल नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर इसके समर्थन में भी प्रदर्शन किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के राजगढ़ में  सीएए के समर्थन में प्रदर्शन निकाला गया था, उसी बीच एक प्रदर्शनकारी ने डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा के बाल खींच दिए थे.

महिला अफसर से हुई थी बदसलूकी

दरअसल, प्रशासन प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश कर रहा था और बीचे रास्ते में प्रदर्शन कर रहे लोगों को वहां से हटा रहा था. इसी दौरान डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा एक प्रदर्शनकारी को थप्पड़ मारने लगीं. तभी किसी प्रदर्शनकारी ने डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा की चोटी खींच दी.

इस घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि आज का दिन लोकतंत्र के सबसे काले दिनों में गिना जाएगा. आज राजगढ़ में डिप्टी कलेक्टर साहिबा ने जिस बेशर्मी से CAA के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को लताड़ा, घसीटा और चांटे मारे, उसकी निंदा मैं शब्दों में नहीं कर सकता. क्या उन्हें प्रदर्शनकारियों को पीटने का आदेश मिला था?

नागरिकता कानून का विरोध कर रही कमलनाथ सरकार

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वह इस कानून का विरोध करेगी. विरोध में मुख्यमंत्री कमलनाथ और सरकार के सभी मंत्री व कांग्रेस कार्यकर्ता पैदल मार्च भी निकाल चुके हैं . मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का नागरिकता संशोधन कानून पर आधिकारिक बयान आया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि इस बिल को संसद में लाने से पहले केंद्र सरकार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भरोसे में नहीं लिया गया.

उनका कहना था कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र सरकार की जिद के कारण हालात काबू से बाहर हैं और इसलिए इस कानून को लेकर जो कांग्रेस का स्टैंड है वहीं मध्यप्रदेश सरकार का स्टैंड रहेगा.

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