MP in Monsoon: मानसून में मध्य प्रदेश की इन जगहों पर जाइए घूमने

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Updated at : 09 Jul 2022 ,

मध्य प्रदेश में मानसून इन दिनों अपने पूरे सबाब पर है. चारों ओर बादल अठखेलियां कर रहे हैं. मेघ अपनी पूरी क्षमता में बरस रहे हैं.हरियाली फैलती जा रही है. मानसून के इस सीजन में मध्य प्रदेश के पहाड़, जंगल और नदियां खूबसूरत नजर आ रहे हैं. आइए हम आपको मध्य प्रदेश के ऐसे पर्यटक स्थलों के बारे में बताते हैं, जहां आप बारिश के मौसम में घूम सकते हैं, यकीन मानिए मानसून में मध्य प्रदेश की यात्रा आपके लिए यादगार बन जाएगी.

मांडू नहीं देखा तो क्या देखा

धार जिले में विंध्य की पहाड़ियों पर स्थित  स्थित मांडू अपने अंदर कई ऐतिहासिक धरोहर संजोए हुए है.यहां 25 से अधिक ऐतिहासिक महल हैं.पहाड़ों से घिरे मांडू की ऐतिहासिक इमारतें और वहां का प्राकृतिक सौदर्य ही उसके आकर्षण का केंद्र है. मांडू राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती की अमर प्रेम कहानी को आज भी सुनाता है.बाज बहादुर के महल के सामने ही रानी रूपमती का महल है.उसमें उनकी प्रेम कहानी के किस्से आज भी पर्यटकों को रोमांचित कर देते हैं.रोजाना शाम को हिंडोला महल में लाइट शो का आयोजन होता है. इसमें मालवा के इतिहास की कहानियों की गूंज महसूस होती है.मांडू की सैर वैसे तो सभी मौसमों के की जा सकती है, लेकिन बारिश में मांडू का सौंदर्य आपका मन मोह लेगा.

अमरकंटक के मनमोहक झरने 

मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले का अमरकंटक विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित है.अमरकंटक में ही नर्मदा नदी का उद्गम होता है.वहीं सोनमुड़ा में सोन नदी का उद्गम होता है. सोन गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है.सोनमुड़ा पहाड़ियों से बहुत ही अच्छा दृश्य देखने को मिलता है.बारिश के दिनों में चारों तरफ हरियाली नजर आती है.यहां स्थित कपिल धारा को दूध धारा के नाम से भी जाना जाता है.नर्मदा की वजह से अमरकंट की धार्मिक मान्यता बहुत अधिक है.नर्मदेश्वर मंदिर में नर्मदा नदी के स्रोत पर बने एक पवित्र कुंड अमर मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है. नर्मदा मंदिर परिसर में करीब 20 छोटे मंदिर हैं. इनमें से हर एक मंदिर अपने तरीके से महत्वपूर्ण है. कपिलधारा, शंभुधारा और दुर्गधारा वहां के मशहूर झरने हैं. बारिश के मौसम में अमरकंट घूमने लायक जगह है.

झीलो का शहर भोपाल

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अपनी झीलों के लिए प्रसिद्ध है.यहां के राजा भोज ताल या बड़ी झील में आप बोटिंग का आनंद ले सकते हैं. यहां सुबह तालाब के किनारे आने वाली ठंडी-ठंडी हवा आपकी पूरी थकान दूर कर देंगी.भोपाल से करीब सात किलोमीटर दूर ग्वालियर रोड की एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है मनुभान की टेकरी. यह जैनियों का एक तीर्थ है. टेकरी पर जैन संत महाराज विजय सुरजी,जिंदुट्टा सुरेश्वरजी और आचार्य मनतुंग के पांव रखे हुए हैं. वहां भदरजी की मूर्ति भी लगी है.पहाड़ की ऊंचाई से पूरा भोपाल नज़र आता है.कलियासोत,केरवा और कोलार डैम घूमने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं.बारिश के मौसम में जब इन बांधों के गेट खुलते हैं तो नजारा मन को मोहने वाला होता है.

पचमढ़ी की ऊंचाई

पचमढ़ी भोपाल से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.यहां स्थित ऊंची चट्टान को धूपगढ़ के नाम से जाना जाता है.इसे मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चट्टान कहा जाता है.यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद लिया जाता सकता है.पचमढ़ी 11 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस वजह से यह हिल स्टेशन हमेशा शांत और शीतल रहता है. भारत के सबसे बड़े जलप्रपात में से एक रजत प्रपात यहीं पर है. यहां के राजेंद्रगिरी पार्क में पर्यटक सूर्यास्त के समय आते हैं.बारिश के समय पचमढ़ी और भी अधिक खूबसूरत नजर आता है.

भगवान राम का ओरछा

ओरछा को मध्‍य प्रदेश का अयोध्‍या कहा जाता है. ओरछा अपने इ‍तिहास के लिए प्रसिद्ध है.ओरछा हरियाली से घिरा हुआ है और पहाड़ों की गोद में बसा है. ओरछा में घुसते ही आपको प्राचीनकाल के शहरों के वास्‍तुकला और सौंदर्य नजर आएगा. ओरक्षा में भगवान राम अपने बाल रूप में मौजूद हैं. ऐसी मान्‍यता है कि भगवान राम दिन नें ओरछा तो रात में  अयोध्या विश्राम करते हैं.ओरछा में ओरछा किला, जहांगीर महल और बेतवा नदी के किनारे कंचन घाट पर कई छतरियां देखने  लायक हैं. ओरछा का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण राजा राम मंदिर है. यह देश का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. मध्य प्रदेश के सिपाही उन्हें सलामी भी देते हैं.

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