September 11, 2025

पति-पत्‍नी साथ नहीं रह सकते तो एक-दूसरे को छोड़ना ही बेहतर: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक पति-पत्‍नी (Married Couple) के मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर पति पत्‍नी एक साथ नहीं रह सकते हें तो उन्‍हें एक-दूसरे को छोड़ना ही बेहतर होगा. दरअसल यह मामला एक दंपती का है, जो 1995 में शादी के बाद से महज 5 दिन साथ रहा है.

 

पत्‍नी ने हाईकोर्ट की ओर से जारी तलाक के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्‍ना की पीठ ने महिला से कहा है कि उसे व्‍यावहारिक होना चाहिए. वे पूरी जिंदगी अदालत में एक-दूसरे से लड़ते हुए नहीं बिता सकते हैं. दोनों की उम्र 50 और 55 साल है.

 

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दंपती से गुजारा भत्‍ता को लेकर पारस्‍परिक रूप से फैसला लेने को कहा है. साथ ही पत्‍नी की याचिका पर दिसंबर पर विचार करने का फैसला लिया है. महिला की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हाईकोर्ट की ओर से तलाक को मंजूरी देना गलत था.

वकील का यह भी कहना है कि हाईकोर्ट ने इस बात की भी अनदेखी की है कि समझौते का सम्‍मान नहीं किया गया है. इसके अलावा पति की ओर से पेश वकील ने कहा है कि 1995 में शादी करने के बाद से ही उसका जीवन बर्बाद हो गया है. उसका कहना है कि दोनों का वैवाहिक जीवन महज 5 या 6 दिन का ही था.

 

पति के वकील ने कहा है कि क्रूरता और शादी के परिवर्तनीय टूट के आधार पर तलाक की अनुमति देना बिलकुल ठीक था. उनकी ओर से कहा गया है कि पति अब पत्‍नी के साथ नहीं र‍हना चाहता है और वह उसे गुजारा भत्‍ता देने का राजी है.

पति की वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि 13 जुलाई 1995 को शादी के बाद उसकी पत्‍नी ने उनपर अगरतला स्थित अपने घर में घर जमाई बनकर रहने का दबाव डाला था. वह संपन्‍न परिवार से है. उसके पिता आईएएस अधिकारी थे. जब पति नहीं माना तो वह उसे छोड़कर मायके चली गई थी. तबसे दोनों अलग हैं.

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