September 11, 2025

400 करोड़ का प्रोजेक्‍ट, लेकिन नहीं मिला एक बूंद पानी, तरस रहे लोग

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टीकमगढ़. बुंदेलखंड के क्षेत्र टीकमगढ़ में गर्मी के दिनों में पेयजल संकट की स्थिति गहराने लगती है. तापमान जहां अभी से 40 डिग्री के पार पहुंच रहा है तो ऐसे में अब पीने के पानी के लिए भी जूझना पड़ रहा है. यह स्थिति एक दो गांव की नहीं बल्कि जिले के अधिकतर गांव में है. जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में हर घर मुफ्त नल कनेक्शन देने के लिए पीएचई विभाग और जल मिशन का काम चल रहा है. ठेकेदारों और अधिकारियों की लापरवाही कहे या इनकी उदासीनता जिसके कारण यह योजना साकार होती हुई दिखाई नहीं दे रही है.

पीएचई के ठेकेदारों से जो पानी की टंकियां का निर्माण कराया था वह अभी तक चालू नहीं कर पा रहे हैं. गांव के लोग पेयजल के लिए परेशान हो रहे हैं. इस भीषण तपती गर्मी में लोगों को दो-तीन किलोमीटर पैदल जाकर कुआं से पानी लाना पड़ रहा है. यह तस्वीर है टीकमगढ़ जिले से महज 5 किमी दूर हजूरीनगर लक्ष्मणपुर गांव की है जहां 1 साल पहले पानी की टंकी बनकर तैयार हो गई थी. टीकमगढ़ पीएचई के एग्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर अनिल कुमार ने बताया कि जिले में कुल 625 गांव हैं उसमें से 121 में जल निगम द्वारा काम किया गया है. कुछ गांवोंं में काम प्रगति पर है और 2025 तक पूरा काम हो सकेगा.

लापरवाही के कारण पीने का पानी नहीं पहुंचा
ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते काम पूरा नहीं हो सका है. यहां नल कनेक्शन तो घर-घर हो गए हैं लेकिन पानी नहीं पहुंच पा रहा है. गांव की महिला सरपंच का साफ कहना है कि घटिया निर्माण कार्य किया गया है. लाइन अधूरी डाली गई है जिसके कारण पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इसकी जानकारी अफसरों को है, लेकिन अभी तक कोई जांच या सुधार नहीं हुआ है.

नल जल योजना पर कागजी आंकड़े, शोपीस बनी पानी की टंकी
कुछ गांवों में नल जल योजना पूरी हो गई है लेकिन वहां पर भी घर-घर पानी नहीं पहुंच पा रहा है. लोग अभी भी पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. टीकमगढ़ मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर धजराई गांव में पीने के पानी के लिए गांव के लोग मोहताज हो रहे हैं. पानी की टंकी शोपीस बनी हुई है. इस गांव में केवल 15 दिन ही टंकी से पानी सप्लाई हो पाया है और बंद हो गई. जब यह हाल शहर से लगे हुए गांव का है तो इस बात से साफ अंदाजा कर लगाया जा सकता है कि दूर-दराज वाले गांव की क्या स्थिति होगी?

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