September 11, 2025
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LAST UPDATED: FEBRUARY 8, 2021,

नई दिल्ली. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) के निदेशक कलाचंद सैन ने कहा है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर (Nanda Devi Glacier) का एक हिस्सा टूटने के बाद आई व्यापक बाढ़ के कारणों का अध्ययन करने के लिए ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों (ग्लेशियोलॉजिस्ट) की दो टीमें जोशीमठ-तपोवन जाएंगी. सैन ने कहा कि ग्लेशियोलॉजिस्ट (Glaciologist) की दो टीम हैं– एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तत्वावधान में देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, क्षेत्र में हिमनदों और भूकंपीय गतिविधियों सहित हिमालय के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है. इसने उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ पर भी अध्ययन किया था, जिसमें लगभग 5,000 लोग मारे गए थे. सैन ने कहा, ‘टीम त्रासदी के कारणों का अध्ययन करेगी. हमारी टीम ग्लेशियोलॉजी के विभिन्न पहलुओं को देख रही होगी.’ उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई. इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं. सैन ने कहा कि रविवार की घटना काफी ’अजीब’ थी, क्योंकि बारिश नहीं हुई थी और न ही बर्फ पिघली थी.

इस इलाके में भी कमोबेश यही हाल है
वहीं,  2013 में केदारनाथ जल प्रलय (Jal Pralay) के दौरान मुख्‍यमंत्री के सलाहकार रह चुके और उत्‍तराखंड में ईको टास्क फोर्स के पूर्व कमांडेंट ऑफिसर कर्नल हरिराज सिंह राणा का कहना है कि इस घटना में जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. 150 से ज्‍यादा लापता हैं तो इससे मृतकों की संख्‍या बढ़ने की पूरी आशंका है. ग्‍लेशियर का टूटना उत्‍तराखंड में कोई नई घटना नहीं है लेकिन उसका तबाही में बदल जाना खतरनाक है और ऐसा प्रमुख वजह से है. राणा कहते हैं कि उत्‍तराखंड में इस घटना की दो बड़ी वजहें हो सकती हैं. पहली नदी के फ्लड एरिया (Flood Area) में अतिक्रमण और निर्माण कार्य, दूसरा 2013 की तबाही (Disaster) से कोई सबक न लेना. इस इलाके में भी कमोबेश यही हाल है.

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