September 11, 2025

MP: भारत के पहले हिंद केसरी रामचंद्र पहलवान का निधन

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बुरहानपुर. देश-दुनिया में कुश्ती आज भी लोकप्रिय खेल है. पुराने जमाने में जब मनोरंजन के कोई साधन नहीं थे, तो कुश्ती सबसे प्रिय खेल कहलाता था. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक कुश्ती का आनंद लेते थे. बड़े-बड़े दंगल होते थे, जहां पहलवान कुश्ती के दांव पेंच दिखाते थे. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर में भी प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबूलाल पहलवान थे, जिन्होंने 1958 में 7 मिनट में थल सेना के मशहूर पहलवान को पटखनी देकर हिंद केसरी का खिताब जीता था. नेपानगर में शनिवार को लंबी बीमारी के चलते 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके निधन की खबर से कुश्ती प्रेमी शोक में हैं.

दिवंगत रामचंद्र पहलवान के बेटे राजेंद्र शाह और बच्चू भगत ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि उनके पिता रामचंद्र बाबूलाल पहलवान का जन्म बुरहानपुर में 1929 में हुआ था. बचपन से ही उन्हें कुश्ती लड़ने का शौक था. उन्होंने हैदराबाद में 1 जून 1958 को हिंद केसरी की पहली स्पर्धा में गोशामहल स्टेडियम में भाग लिया था, जहां पर 7 मिनट में थल सेना के मशहूर पहलवान ज्ञानीराम को पटखनी देकर पहला हिंद केसरी का खिताब जीता था. कर्नाटक के तत्कालीन गवर्नर ने उन्हें 15 किलो वजनी चांदी की गदा पुरस्कार के रूप में भेंट की थी. हिंद केसरी भारतीय शैली की राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप है. यह ऑल इंडिया एमेच्योर रेसलिंग फेडरेशन से जुड़ी हुई है.

नेपा मिल में नौकरी करते थे रामचंद्र पहलवान

उन्होंने कहा कि पिता रामचंद्र पहलवान नेपा मिल में जूनियर लेबर एंड वेलफेयर सुपरवाइजर रह चुके हैं. वहां पर नौकरी के साथ में कुश्ती भी लड़ते थे और क्षेत्र के बच्चों को कुश्ती सिखाते भी थे. उन्होंने 1950 से 1965 तक 250 से ज्यादा कुश्ती के मुकाबले लड़े थे. वह 1992 में मिल से रिटायर हुए थे.

राजेंद्र शाह ने कहा कि प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबूलाल पहलवान को 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी भी सम्मानित कर चुकी हैं. उन्हें कुश्ती के क्षेत्र में 250 से ज्यादा गोल्ड मेडल मिल चुके हैं.

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