8 बार के सांसद सुरेश क्यों नहीं बन सके प्रोटेम स्पीकर? 7 टर्म वाले बीजेपी एमपी भर्तृहरि माहताब को कैसे मिला मौका?

LAST UPDATED :
नई दिल्ली. 18वीं लोकसभा की कार्यवाही सोमवार से शुरू होने वाली है, हालांकि इससे पहले ही निचले सदन के प्रोटेम स्पीकर यानी अस्थायी अध्यक्ष को लेकर विवाद छिड़ गया. कांग्रेस ने इस मामले में बीजेपी पर संसदीय परंपरा को नष्ट करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि उसके आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए था. उनकी जगह भारतीय जनता पार्टी के सांसद भर्तृहरि महताब को यह जिम्मेदारी देना गलत है.
बता दें कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने गुरुवार को भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने की जानकारी दी थी. इस पर कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सवाल उठाते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘संसदीय मानदंडों को नष्ट करने की एक और कोशिश के तहत भर्तृहरि महताब (7 बार के सांसद) को कोडिकुनिल सुरेश की जगह लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. सुरेश बतौर सांसद अपने 8वें कार्यकाल में प्रवेश करेंगे.’
ऐसे में यह सवाल उठता है कि आठ बार के एमपी के. सुरेश प्रोटेम स्पीकर क्यों नहीं बन सके और उनकी जगह सात टर्म वाले बीजेपी एमपी भर्तृहरि माहताब को कैसे मौका मिला? तो चलिये जानते हैं सरकार के इस कदम के पीछे की वजह…
इससे पहले 17वीं लोकसभा में भी इसी तरह वीरेंद्र कुमार को राष्ट्रपति ने प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया था. वह उस समय संसद के सबसे लंबे समय तक लगातार निर्वाचित सदस्य थे. उस वक्त भी मेनका गांधी सबसे वरिष्ठ सांसद थीं, लेकिन उनका कार्यकाल लगातार नहीं था और इसीलिए उन्हें प्रोटेम स्पीकर के रूप में नहीं चुना गया था.