September 11, 2025

MP के इस जिले पर नक्सलियों ने किया कब्जा

0
mp-news-naxalites

LAST UPDATED : 

भोपाल. बिना किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिए नक्सलियों का नेटवर्क मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) में तेजी से फैल रहा है. यही कारण है कि अभी तक बालाघाट और मंडला नक्सल प्रभावित जिले थे, लेकिन अब स्टेट इंटेलिजेंस और स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने डिंडौरी जिले को भी अधिकृत तौर पर नक्सल प्रभावित जिला घोषित कर दिया है.  बीते दो दशकों में यह प्रदेश का तीसरा जिला है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) के डिंडौरी का जंगल अमरकंटक से लगा हुआ है. साल 2014 में कोबरा बटालियन को यहां से हटा लिया गया था. इसके कुछ महीनों बाद ही फिर से सरकार ने हॉकफोर्स तैनात करने का निर्णय लिया. लेकिन, पुलिस बल की कमी होने के कारण बालाघाट, मंडला, अनूपपुर और डिंडौरी में कुछ सालों में ही नक्सलियों ने अपने नेटवर्क का पहले से ज्यादा मजबूत किया. नक्सलियों ने बालाघाट, मंडला के बाद डिंडौरी में अपनी सक्रियता बढ़ाई.

मजबूत होगी राज्य की पुलिस

इंस्पेक्टर जनरल (IG), (नक्सल विरोधी) फरीद शापू ने बताया कि डिंडौरी में बढ़ते नक्सली मूवमेंट की वजह से ही राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को मौजूदा परिस्थियों पर आधारित रिपोर्ट भेजी थी. अब राज्य पुलिस के साथ इस जिले में भी केंद्रीय सुरक्षा बल नक्सलियों को रोकने का काम करेगा. साथ ही, केंद्र की सूची में डिंडौरी के शामिल होने के बाद देशभर में होने वाले नक्सली हमलों के तरीकों को यहां की पुलिस से साझा करने में मदद मिलेगी. स्थानीय पुलिस बल को आधुनिक हथियार मिल सकेंगे. केंद्र की योजनाओं के तहत वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे.

नक्सलियों  के बड़े काम का है डिंडौरी

रिटायर्ड डीजीपी आरएलएस यादव ने बताया कि डिंडौरी जिले की सीमा बालाघाट और मंडला जिले से लगी हुई है. दोनों जिलों में घेराबंदी तेज होती है, तो नक्सली डिंडौरी को अपना सुरक्षित ठिकाना बना लेते हैं. इसी वजह से कुछ सालों में डिंडौरी में तेजी से नक्सली मूवमेंट बढ़ा है.2012 में डिंडौरी जिले को नक्सल सूची से हटा दिया गया था.

उन्होंने बताया कि आदिवासियों के पिछड़ेपन का फायदा अक्सर यह नक्सली उठाते हैं. बालाघाट, मंडला के बाद डिंडौरी में नक्सलियों के नेटवर्क की मौजूदगी ने पुलिस की सुरक्षा और चौकसी पर भी सवाल खड़े किए हैं. जब यह जिला 2012 में नक्सली नक्शे से हट गया था, तो यहां पर लापरवाही क्यों बरती गई. सुस्त सुरक्षा व्यवस्था की वजह से अब फिर नक्सलियों ने अपनी जड़ों को इस जिले में मजबूत कर लिया है. अब यह जिला भी पुलिस के लिए चुनौती बन गया है.

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed