September 11, 2025

हर महिला को है गर्भपात का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश

0
woman-has-right-to-abortion-supreme-court

Updated: 29 सितम्बर, 2022

महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक और ऐतिहासिक आदेश आया है. सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार है चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित, सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं. गर्भपात के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत पति द्वारा यौन हमले को मेरिटल रेप के अर्थ में शामिल किया जाना चाहिए.  MTP कानून में  विवाहित और अविवाहित महिला के बीच का अंतर कृत्रिम और संवैधानिक रूप से टिकाऊ नहीं है.  यह इस रूढ़िवादिता को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन गतिविधियों में लिप्त होती हैं. किसी महिला की वैवाहिक स्थिति उसे अनचाहे गर्भ को गिराने के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं हो सकती.  यहां तक ​​कि अकेली और अविवाहित महिला को भी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक के नियमों के तहत गर्भपात का अधिकार है. यह अधिकार उन महिलाओं के साथ होगा जो अपने अवांछित गर्भधारण को जारी रखने के लिए मजबूर हैं.

नियम 3 (बी) के दायरे में एकल महिलाओं को शामिल करने का कोई औचित्य नहीं है और यह अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा. अविवाहित और एकल महिलाओं को गर्भपात करने से रोकना लेकिन विवाहित महिलाओं को अनुमति देना  मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. ये फैसला जस्जिट डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनाया है.

पीठ 25 वर्षीय अविवाहित महिला द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग की गई थी, जो दिल्ली हाईकोर्ट के उक्त राहत देने से इनकार करने के आदेश के खिलाफ सहमति के रिश्ते से उत्पन्न हुई थी. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि वह 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी है और उसके माता-पिता किसान हैं. उसने प्रस्तुत किया कि आजीविका के स्रोत के अभाव में वह बच्चे की परवरिश और पालन-पोषण करने में असमर्थ होगी. 21 जुलाई, 2022 के एक विस्तृत आदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट  ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की थी. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर एमटीपी अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधान की व्याख्या पर  ASG ऐश्वर्या भाटी की सहायता मांगी थी. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को गर्भपात कराने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था. यह कहा गया कि अविवाहित महिलाएं, जिनकी गर्भावस्था एक सहमति के संबंध से उत्पन्न होती है, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स, 2003 के तहत किसी भी खंड द्वारा पूरी तरह से कवर नहीं की जाती हैं. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ये भी कहा कि आज क्या world safe abortion day है ?

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed