March 26, 2025

थाईलैंड से आकर असम पर 600 साल तक किया राज

0
assam-ahom-dynasty-migrated-from-thailand

Updated on: Mar 30, 2024

असम की जब बात होती है तो अहोम राजवंश का जिक्र होता ही है. अहोम ताई जनजाति के वंशज थे, जिन्होंने स्थानीय नागों को हराकर वर्तमान असम में 6 सदियों तक अधिपत्य जमाया था. भारतीय इतिहास में इनकी काफी अहम भूमिका रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये लोग मूल रूप से भारतीय नहीं थे. हालिया स्टडी के मुताबिक, अहोम वंश के संस्थापक थाईलैंड से भारत आए थे. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) समेत देश भर के संस्थानों द्वारा की गई स्टडी में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संस्थान के जूलॉजी डिपार्टमेंट में हुए एक डीएनए स्टडी में अहोम और थाईलैंड के संबंध का प्रमाण मिले हैं. इस स्टडी में मैंगलोर विश्वविद्यालय, डेक्कन कॉलेज, पुणे और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सात शोधकर्ता शामिल भी थे. यह रिसर्च ह्यूमन मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स नाम की प्रतिष्ठित जर्नल में छपी है.

पहली बार हुई स्टडी, मिले जेनेटिक रिलेशन

देशभर में अहोम को लेकर चर्चा तो हमेशा होती रही है, लेकिन उन पर ऐसी कोई रिसर्च दुनिया में पहली बार हुई है. अहोम लोगों ने ऐतिहासिक रूप से 12वीं शताब्दी में असम में माइग्रेट किया था. नई स्टडी में इस दावे को वैज्ञानिक तौर पर जांचा गया है. असम समेत भारत के 7 उत्तर-पूर्वी राज्यों में रहने वाली आधुनिक अहोम आबादी के 6,12,240 ऑटोसोमल मार्करों की जांच की गई. आसान भाषा में समझें तो उनका DNA टेस्ट किया गया जिसमें उनका रिलेशन थाईलैंड से पाया गया.

रिसर्च में शामिल लेखक डॉ. सचिन कुमार ने बताया कि इससे साफ है कि अहोम राजवंश थाईलैंड से अपने माइग्रेशन के बाद इस क्षेत्र में रहने वाली हिमालय के आबादी के साथ जेनेटिकली घुलमिल गए. लखनऊ में प्राचीन डीएनए प्रयोगशाला के प्रमुख डॉ. नीरज राय ने बताया कि हाई-रिजाल्यूशन हैप्लोटाइप-आधारित विश्लेषण में अहोम आबादी को मुख्य रूप से नेपाल की कुसुंडा और मेघालय की खासी आबादी से भी जेनेटिकली संबंधित पाया गया है.

समय के साथ हो गया भारतीयकरण

भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र ईस्ट एशिया की आधुनिक सभ्यता का प्रवेश द्वार हुआ करता था. थाई आबादी भी यहीं से भारत आई और कुछ समय बाद उनका अपनी पैतृक भूमी से नाता टूट गया. चूंकि अहोम थाईलैंड से थे, इसलिए उनके धर्म,भाषा और प्रथाएं स्थानीय लोगों से अलग थी. BHU के जीव वैज्ञानिक प्रों ज्ञानेश्वर चौबे का कहना है कि समय के साथ ये जनजाती हिमालयी लोग से घुलमिल गई और इनका भारतीयकरण हो गया.

निर्मल कुमार बासु की ‘असम इन अहोम एज’ किताब की मानें तो महान ताई वंश की शान शाखा के अहोम योद्धाओं ने सुखपा के नेतृत्व में स्थानीय नागों को हराकर वर्तमान असम को अपने नाम किया था. अहोम वंश इस मायने में भी अहम हैं यह उन चुनिंदा राजवंशों में से एक था जिनको मुगल कभी जीत नहीं सके.

असम की डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के दीपंकर मोहन ने अहोम लोगों पर स्टडी की है. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, अहोमों के अपने धार्मिक रीति-रिवाज थे लेकिन उन्होंने अपना धर्म कभी अन्य जनजातियों पर नहीं थोपा और स्पष्ट रूप से स्थानीय लोगों की संस्कृति में घुलमिल गए. जैसे शुरूआत में अहोम लोग थाई भाषा बोलते थे. लेकिन बाद में उनके दरबार में असम भाषा चलन में आ गई. इसमें कुछ अहोम-थाई शब्द भी होते थे. इसी तरह हिंदू धर्म अपनाने से पहले, अहोम लोग अपने मृतकों को दफनाया करते थे. लेकिन हिंदू धर्म के प्रभाव में अहोम में दाह-संस्कार का तरीका प्रचलित हो गया.

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed