September 11, 2025

पीएम मोदी के भाषण के बाद ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा औरंगजेब

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Published on: December 27, 2022

नई दिल्ली: सोमवार को वीर बाल दिवस के मौके पर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें पीएम मोदी शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचारों पर बात की। पीएम के इस भाषण के बाद ट्विटर पर औरंगजेब ट्रेंड करने लगा। इस भाषण में पीएम मोदी ने कहा था, ‘एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष! एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं।’

औरंगजेब पर पीएम मोदी ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने कहा, ‘औरंगजेब के आतंक के खिलाफ गुरु गोविंद सिंह पहाड़ की तरह खड़े थे। जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी? दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? वो इसलिए, क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे। हालांकि, भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए। वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, लेकिन इतनी बड़ी ‘शौर्यगाथा’ को भुला दिया गया। लेकिन अब ‘नया भारत’ दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है।’

ट्विटर पर क्यों ट्रेंड हुआ औरंगजेब

पीएम मोदी ने सोमवार को अपने भाषण में जब औरंगजेब की क्रूरता की बात की तो औरंगजेब ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। कुछ ट्विटर यूजर्स कह रहे थे कि पीएम ने मध्ययुगीन काल के बारे में क्यों बात की और इस मुद्दे पर बोलना कितना प्रासंगिक था। जबकि कई अन्य लोगों का मानना ​​था कि औरंगजेब का उनका उल्लेख प्रासंगिक था क्योंकि उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के बच्चों को मार डाला।

बता दें कि पीएम ने अपने भाषण में ये भी कहा कि इतिहास के नाम पर लोगों को ऐसे पाठ पढ़ाए जा रहे हैं जो उनमें हीन भावना को बढ़ावा देते हैं और ‘अमृत काल’ में आगे बढ़ने और भविष्य में भारत को सफलता की ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हमें उसे तोड़ना होगा। हमें अतीत के संकुचित विचारों से मुक्त होना होगा।

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