March 26, 2025

Bageshwar: फफक कर रो पड़े बागेश्वर बाबा , हजारों भक्त भी रोए

0
bageshwar-baba-tears

LAST UPDATED : 

सागर: लोगों के मन की बात पर्चे पर लिखकर प्रसिद्धि पाने वाले बाबा बागेश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री के आज लाखों अनुयायी हैं. इनमें देश के बड़े बिजनेस मैन से लेकर जाने-माने क्रिकेटर, बॉलीवुड स्टार और सिंगर भी शामिल हैं. लेकिन, एक समय था जब धीरेंद्र शास्त्री के पास रहने के लिए घर तक नहीं था, पहनने के लिए कपड़े नहीं थे और दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो पाती थी. गरीबी इस कदर हावी थी कि गांव के लोगों ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में निमंत्रण देना बंद कर दिया था.

यह कहते-कहते बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आंखें भर आईं. झर-झर आंसू बहने लगे, गला रूंध गया. साथ ही हजारों की संख्या में जो श्रद्धालु बाबा बागेश्वर की संघर्ष भरी कहानी सुन रहे थे, वे भी भावनाओं को रोक न सके और रो पड़े. मंच से बागेश्वर बाबा ने कहा कि वह इस विषय को कहना तो नहीं चाहते थे, लेकिन आज अपने आप को रोक नहीं पाए. कहा, मैंने जो गरीबी देखी है, भगवान वह दिन किसी को न दिखाए.

महाशिवरात्रि पर 151 कन्यादान विवाह
बता दें कि छतरपुर के गढ़ा में स्थित बागेश्वर धाम सरकार तीर्थ क्षेत्र में पांचवां सामूहिक कन्यादान विवाह महोत्सव होने जा रहा है. महाशिवरात्रि को होने वाले इस आयोजन में 151 बेटियों के हाथ पीले कराए जाएंगे. 1 से 8 मार्च तक कार्यक्रम चलना है. इस समय बागेश्वर धाम में श्रीमद्भागवत कथा चल रही थी. कथा के अंतिम सत्र में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री श्रद्धालुओं को इस आयोजन के शुरू होने की कहानी सुना रहे थे. जिस दौरान वह भावुक हो उठे. उन्होंने बताया कि जब अपनी बहन की शादी की तब मात्र 70 कार्ड छपवाए थे. इसके बाद हम हनुमानजी महाराज की सेवा करते रहते थे और प्रार्थना करते थे कि कभी हमें सामर्थ्यवान बनाया तो हम गरीब कन्याओं के विवाह करेंगे, ताकि किसी भाई की आंखों में गरीबी के कारण आंसू न आए. हमने जो सह, वह दुनिया का कोई भाई न सहे, हमने जो दुख भोगा वह दुनिया न भोगे.

ऐसे थे बागेश्वर सरकार के बुरे दिन
पं. धीरेंद्र शास्त्री ने बरसात में कच्चा घर गिरने और परिवार के बेघर होने का किस्सा भी सुनाया. बागेश्वर बाबा ने बताया कि हम जिस मकान में रहते थे, वहां पूरे गांव के लोग गंदगी करते थे. बरसात में जब मकान गिर गया तो हमने अपने हाथों से खुद उसे साफ किया. उस कमरे को साफ करके डेरा डाला. 2 दिन तक भोजन मां ने स्कूल में बनाया. फिर उसमें रहे, वह भी समय था. विनम्रता पूर्वक हाथ जोड़कर कहते हैं कि यह भगवान की कृपा है. लेकिन, हमने कभी हनुमानजी के चरण को नहीं छोड़ा. पहले हम चक्की वाले हनुमानजी के यहां रोज जल चढ़ाने जाते थे. सुबह 4:00 से महामाई माता के मंदिर जाते थे. बागेश्वर धाम सरकार के दर्शन करते थे और कहते थे कि कभी कृपा करना अगर हमारा ध्यान आए तो बस इतना ही करना. हनुमानजी ने मुझ पर ध्यान दिया. बैठा दिया कि अब बना पर्चा, लगा दरबार, कथा कर. इस कलिकाल में हनुमानजी जैसा दयालु कोई नहीं है.

‘दक्षिणा लेकर बेटियों का विवाह करते हैं’
पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, हम तो हनुमानजी के नाम का खा रहे हैं. दक्षिणा लेते हैं, पर अपने सुख के लिए नहीं लेते. हम कथा की दक्षिणा लेते हैं. हमारी दान पेटियों में दान आता है, लेकिन हमने कभी मंदिरों का निर्माण नहीं किया. हम उस दान-दक्षिणा को साल भर के लिए जुटा-जुटा कर रखते हैं. एक रुपया भी अगर कोई इधर-उधर कर दे तो हम लड़ पड़ते हैं, क्योंकि वह हमारा नहीं है बेटियों का है. उसी रुपये से बेटियों-बहनों का विवाह धूमधाम से करते हैं.

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed