भारत की गोद में बैठकर पाकिस्तान, चीन से पींगे बढ़ाती हैं बेगम खालिदा जिया, शेख हसीना के बाद फिर आतंकियों का गढ़ बनेगा बांग्लादेश?

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बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सेना ने सत्ता की कमान संभाल ली है. पीएम पद से शेख हसीना इस्तीफा देकर फिलहाल भारत की शरण में हैं. इस बीच सेना के सत्ता संभालते ही बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया गया है. शेख हसीन के कार्यकाल में लंबे समय से खालिदा जिया नजरबंद थीं. खालिजा जिया बांग्लादेश की दो बार की प्रधानमंत्री हैं. उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का हमेशा से झुकाव इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ रहा है. ये कट्टरपंथी हमेशा से पाकिस्तान की वकालत करते हैं.

अगर आप बांग्लादेश के मैप को देंखे तो पाएंगे कि यह देश पूरी तरह से भारत की गोद में बैठा है. यह तीन दिशाओं उत्तर, पश्चिम और पूरब में भारत से घिरा है. इसके दक्षिण में बंगाला की खाड़ी है. भारत के साथ इस देश की चार हजार किमी से अधिक की सीमा लगती है. इस तरह अगर भारत की गोद में बैठा कोई मुल्क तबाह होता है या वहां अस्थिरता आती है तो निश्चिततौर पर भारत को चिंतित होने की जरूरत है.

बीएनबी और भारत
जहां तक भारत के प्रति बीएनपी के रवैये का इतिहास है तो यह बहुत अच्छा नहीं रहा है. बीएनपी और खालिदा जिया के शासन काल में यह मुल्क आतंकवादियों का गढ़ बन गया था. बीएनपी कट्टरपंथ की ओर झुकाव रखने वाली पार्टी है. वहीं आवामी लीग, जिसकी नेता शेख हसीना थी, एक सेक्युलर-डेमोक्रेटिक फैब्रिक में भरोसा करती है. यही कारण है कि भारत बांग्लादेश की स्थापना के वक्त से ही अवामी लीग को वरीयता देता है.

स्थिर पड़ोसी की चाह
बीबीसी से बातचीत में बांग्लादेश में भारत की उच्चायुक्त रहीं वीना सीकरी कहती हैं- भारत एक स्थिर पड़ोसी चाहता है. भारत हमेशा से चाहता है कि बांग्लादेश सहित उसके सभी पड़ोसी देशों में राजनीतिक स्थिरता रहे. वहां लोकतंत्र मजबूत रहे. वह कहती हैं कि बीएनपी न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन समर्थित भी है. वह इस्लामिक राजनीति की बात करती है और शेख हसीना के न रहने पर वह पाकिस्तान और चीन की तरफ और झुकेगी. ऐसी स्थिति किसी भी रूप में भारत के लिए ठीक नहीं है. बेगम खालिदा जिया 1991 से 1996 और फिर 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की पीएम रहीं.

दो बार भारत का दौरा
खालिदा जिया पीएम रहते केवल दो बार भारत के आधिकारिक दौरे पर आईं. उन्होंने सबसे पहले 26 से 28 मई 1992 को भारत का दौरा किया फिर 20 से 22 मार्च 2006 को भारत आईं. अपने दोनों कार्यकाल में वह चार बार पाकिस्तान और दो बार चीन की यात्रा की. इससे उनके पाकिस्तान और चीन प्रेम की झलक साफ दिखती है. उन्होंने उस पाकिस्तान की चार बार यात्रा जिसने करोड़ों बांग्लादेशियों को जिंदगी नर्क बना दी थी. उन्हीं पाकिस्तानियों से लड़कर बांग्लादेश एक अलग मुल्क बना था.

आतंकवाद और बांग्लादेश
बांग्लादेश में जमात-उल-मुजाहिदीन एक प्रमुख आतंकवादी संगठन रहा है. इसके अलावा अघोषित रूप से वहां कई अन्य संगठन हैं जो जमात-ए-इस्लाम के लिए काम करते हैं. लेकिन, चिंता की बड़ी बात यह है कि भारत के पूर्वोत्तर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों को जमात और बीएनपी परोक्ष तौर पर सहयोग करते हैं. इन आतंकवादी संगठनों को बांग्लादेश में एक सुरक्षित ठिकाना मिल जाता है. ये पूर्वोत्तर से लेकर भारत के पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में सक्रिय रहे हैं.

वर्ष 2018 में बिहार के बोधगया में हुए ब्लास्ट मामले में पकड़ा गया आतंकवादी भी बांग्लादेश का था. भारत में प्रतिबंधित संगठन पीएफआई का संबंध भी बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन से रहा है. बोधगया ब्लास्ट मामले में पटना की एक एनआईए कोर्ट ने जमात के एक बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुन इस्लाम उर्फ कौसर को दोषी ठहराया था.

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