बेंगलुरु के बाद इन शहरों में पड़ेगा सूखा, मंडरा रहा पानी की शॉर्टेज का खतरा

मुख्य समाचार, राष्ट्रीय

Updated at : 20 Mar 2024

कर्नाटक का बेंगलुरु शहर इस समय पानी की शॉर्टेज के भयंकर संकट से जूझ रहा है. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस साल के शुरू में ही चिंता जाहिर की थी कि भारत समेत 240 करोड़ की आबादी पानी की किल्लत से जूझ रही है. बेंगलुरु में लोग पानी की भीषण कमी का सामना कर रहे हैं. राज्य सरकार इसे लेकर बेहद चिंतित है. एक दिन में जितने पानी की जरूरत है उसका एक तिहाई हिस्सा ही लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

सोमवार (18 मार्च) को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि शहर को पर डे 2,600 मिलियन लीटर (MLD) पानी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 500 एमएलडी वॉटर की ही सप्लाई शहर को हो पा रही है. यूनाइटेड नेशन ने साल की शुरुआत में ही बताया था कि भारत समेत 25 देश पानी की कमी का सामना कर रहे हैं. विश्व बैंक और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी विभिन्न शहरों को लेकर पानी की शॉर्टेज का अनुमान जताया है. आइए जानते हैं बेंगलुरु के बाद किन शहरों पर भीषण वॉटर क्राइसिस का खतरा मंडरा रहा है-

केप टाउन
दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केप टाउन में पहले से ही पानी की कमी है. साल 2017 और 2018 में यहां खतरनाक वॉटर क्राइसिस की स्थिति देखी गई थी. उस वक्त यहां के वॉटर सप्लाई डैम में सिर्फ 14 फीसदी पानी रह गया था. हालांकि, अब वॉटर लेवल 50 फीसदी है, लेकिन यह अभी भी शहर के लिए पर्याप्त नहीं है, खासतौर से गर्मी की सीजन में.

काहिरा
मिस्त्र के 97 फीसदी पानी का स्त्रोत होने के बावजूद देश की राजधानी काहिरा पर पानी की कमी का खतरा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डेटा के अनुसार, वॉटर पॉल्यूशन की वजह से होने वाली मौतों की संख्या के मामले में मिस्त्र निम्न-मध्यम आय वाले देशों में प्रमुख स्थान पर है. यूएन ने अनुमान जताया है कि 2025 तक देश में पानी भारी कमी हो सकती है.

जकार्ता
इंडोनेशिया का जकार्ता शहर समुद्र के बढ़ते स्तर के खतरे का सामना कर रहा है. यहां की एक करोड़ आबादी का आधा हिस्सा पाइप वॉटर का इस्तेमाल करता है और अनाधिकृत कुओं की खुदाई देश में चल रही है. इससे जमीन के नीचे पानी की कमी हो सकती है और वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि जकार्ता का 40 फीसदा हिस्सा समुद्री स्तर से नीचे है.

मेलबर्न
एक दशक के लंबे समय तक पानी के सूखे का सामना करने के बाद ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर पर अब पेड़ों की कटाई का खतरा है. वनों की कटाई  के चलते शहर को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है.

इस्तांबुल
पानी की किल्लत वाले शहरों में एक नाम तुर्किए के इस्तांबुल शहर का भी ही. सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस्तांबुल में 2016 में प्रति व्यक्ति पानी की आपूर्ति घटकर 1,700 क्यूबिक मीटर रह गई थी. स्थानीय एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है कि 2030 तक शहर में पानी की कमी और बढ़ जाएगी और शहर पर भारी संकट आ सकता है. इस्तांबुल में 1 करोड़ 40 लाख लोगों की आबादी रहती है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि साल 2014 में देश के बड़ी आबादी वाले शहरों की क्षमता में जलस्त्रोत में 30 फीसदी की कमी के बाद पानी की शॉर्टेज शुरू हो गई.

मेक्सिको सिटी
मेक्सिको राजधानी मेक्सिको सिटी की 2 करोड़ 10 लाख की आबादी में से सिर्फ 20 फीसदी लोगों को ही हफ्ते में कुछ घंटों के लिए टैप वॉटर की सप्लाई हो पाती है, जबकि 20 फीसदी को दिन में सिर्फ एक समय ही पानी मिल पाता है. शहर में पानी की किल्लत इस लेवल पर है कि उसे दूर से स्त्रोतों के जरिए पानी सप्लाई हो पाता है और बड़े स्तर पर रिसाइक्लिंग के जरिए पानी की आपूर्ति हो पाती है. इसके अलावा, 40 फीसदी पानी पाइपलाइन में दिक्कत के चलते लोगों को नहीं मिल पाता.

लंदन
ग्रेटर लंदन अथॉरिटी ने चिंता जताई है कि यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन 2025 तक पानी की कमी से जूझ सकती है और 2040 तक यह समस्या इतनी बढ़ सकती है कि लोगों को बड़े लेवल पर वॉटर शॉर्टेज हो जाए.

WRI ने भी जताई चिंता
19 अगस्त, 2023 को वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट की एक्वाडक्ट वॉटर रिस्क एटलस रिपोर्ट में बताया गया कि 25 देशों की 400 करोड़ आबादी साल में एक महीना पानी की कमी का सामना करती है, जो दुनिया की आबादी का लगभग आधा हिस्सा है. रिपोर्ट में कहा गया कि 2050 तक यह आंकड़ा 60 फीसदी तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बहरीन, साइप्रस, कुवैत, लेबनान और ओमान हर साल सबसे ज्यादा पानी की समस्या का सामना करते हैं और इन्हें सूखे का सामना करना पड़ सकता है.

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