भारत की बड़ी कामयाबी: BRICS ने पहली बार लश्कर और जैश का लिया नाम
अंतिम अपडेट: सोमवार सितम्बर 4, 2017
श्यामन: चीन के इस तटीय शहर में चल रहे नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी उस वक्त मिली जब ब्रिक्स घोषणापत्र में पहली बार पाकिस्तान की सरजमीं से आतंक फैलाने वाले संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क और हिज्ब-उत-तहरीर का नाम सार्वजनिक रूप से शामिल करते हुए इनकी आलोचना की गई. हालांकि ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तान का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया गया, लेकिन उसकी जमीन से जो संगठन काम करते हैं, उनका साफतौर पर जिक्र होना भारत के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.
बड़ी जीत
इन आतंकी संगठनों का पहली बार साफतौर पर जिक्र होना इस लिहाज से भी भारत के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है क्योंकि क्योंकि इस घोषणापत्र में सभी पांचों सदस्य देशों की सहमति होती है. इसका फायदा दुनिया के अन्य मंचों पर भी फायदा मिलता है. यह इसलिए भी अहमियत रखता है क्योंकि चीन, पाकिस्तान का बेहद करीबी मित्र है और इस बार ब्रिक्स का आयोजन भी चीन में हो रहा है. ऐसे में पहली बार इन आतंकी संगठनों का जिक्र होना पाकिस्तान के खिलाफ रुख को दर्शाता है.
बदलता अमेरिकी रुख
अमेरिका ने भी हाल में आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है. इस मुहिम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो अफगानिस्तान में पाकिस्तान के बजाय भारत की अधिक भागीदारी की वकालत की. इससे नाराज पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने अपना अमेरिका का प्रस्तावित दौरा रद कर दिया.
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्लैनरी सेशन में आतंकवाद का मुद्दा उठाया. इस संबंध में ब्रिक्स घोषणापत्र में कहा गया कि आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है और आतंकी संगठनों की वित्तीय मदद रोकी जाए. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ब्रिक्स देश युवाओं को लेकर काम करें और युवाओं को महत्वपूर्ण योजनाओं का हिस्सा बनाएं. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुस्तान के युवा हमारे देश की बड़ी ताकत हैं.