राजस्थान चुनाव: वसुंधरा राजे का ऐलान-किसानों को देंगे मुफ्त बिजली, कांग्रेस ने उठाए सवाल
Updated: October 6, 2018,
चुनाव आयोग ने राजस्थान सहित छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम और मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसाभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है. आयोग द्वारा राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किए जाने से पहले अजमेर रैली में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किसानों के लिए मुफ्त बिजली देने की घोषणा की. यह कदम उन्होंने आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले ही उठा लिया, क्योंकि आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार यह ऐलान नहीं कर पातीं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि राज्य के किसानों को एक सीमा तक मुफ्त बिजली मिले, ताकि उनकी आय में इजाफा हो. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात की घोषणा करना चाहती हूं कि ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य क्षेणी के कनेक्शन वाले सभी किसानों को एक निश्चित सीमा तक मुफ्त बिजली देने की योजना की कल (शुक्रवार को) शुरुआत कर दी गई है.’
अपनी सरकार का किया बखान
बीजेपी के गौरव यात्रा के समापन के मौके पर सीएम वसुंधरा राजे ने एक रैली को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि राजस्थान में बीजेपी की 5 साल की सरकार ने महिलाओं और किसानों के लिए कई काम किए. राजे ने कहा कि राज्य में चरमराई बिजली की हालत के लिए भी बीजेपी सरकार ने बहुत काम किया है.
वसुंधरा राजे ने कहा कि हमने (बीजेपी सरकार ने) राज्य में 40 हजार करोड़ रुपये खर्च कर बिजली की व्यवस्था को बेहतर किया. उन्होंने कहा कि जहां बिजली नहीं मिला करती थी वहां अब 20-22 घंटे घरेलू बिजली मिलती है.
राजस्थान में कब है चुनाव?
राजस्थान में 7 दिसंबर को एक ही चरण में चुनाव होंगे. वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी. राजस्थान में कुल 200 विधानसाभा सीटें हैं. जिनमें 163 सीटें बीजेपी के पास और 3 सीटें कांग्रेस के पास है. बाकी की बची सीटों में 3 BSP, 4 NPEP, 2 NUZP के पास हैं. जबकि 7 निर्दलीय सीटें हैं. वसुंधरा राजे दिसंबर 2013 से वहां की मुख्यमंत्री हैं.
क्या कहते हैं सीटों के समीकरण?
हालांकि, राजस्थान में सवर्ण बनाम एससी/एसटी, ओबीसी की चुनौती से पार पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. इसलिए वसुंधरा राजे द्वारा किए गए इस ऐलान से उन्हें अपनी चुनावी रणनीति तय करने में मदद मिलेगी. बता दें कि चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद आचार संहिता लागू हो जाती है. जिसके बाद सरकार द्वारा किसी भी नीति की घोषणा नहीं की जा सकती.