आरएसएस के प्रचारक का मुकाबला करेगा कांग्रेस सेवादल का ‘विचारक’ , डंडे का मुकाबला झंडे से होगा

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जयपुर. कांग्रेस सेवादल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी दो साल पुराना संगठन है. लेकिन एक ओर जहां बदलते दौर के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) मजबूत होता चला गया वहीं कांग्रेस सेवादल (Congress Seva Dal) नेपथ्य में चला गया. अब कांग्रेस सेवादल एक बार फिर से मुख्यधारा में लौटेगा और आरएसएस का मुकाबला करेगा. कांग्रेस पार्टी अपने इस हरावल दस्ते को भविष्य की जंग के लिए तैयार करने में जुटी है. कांग्रेस सेवादल का एक समृद्ध इतिहास रहा है लेकिन बदलते वक्त के साथ सेवादल के पास सिर्फ पार्टी के कार्यक्रमों में अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी रह गई. अब पार्टी इस संगठन का गौरव फिर से लौटाने की कवायद में जुटी है.

कांग्रेस सेवादल को अनुशासन और जज्बे के लिए जाना जाता है. सेवादल के संस्थापक डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर और आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार सहपाठी थे. हार्डिकर ने 8 दिसंबर 1923 को हिंदुस्तानी सेवादल के नाम से सेवादल का गठन किया था. जबकि हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की थी. आजादी की लड़ाई में सेवादल ने प्रमुख भूमिका निभाई थी. 1947 में इसका नाम हिन्दुस्तानी सेवादल से बदलकर कांग्रेस सेवादल कर दिया गया. पंडित जवाहर लाल नेहरू इसके पहले अध्यक्ष थे. इसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के सपनों का संगठन कहा जाता है.

यह फर्क है दोनों संगठनों में
आजादी के बाद सेवादल ने शिक्षा के प्रसार, स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता और शांति-सद्भाव जैसे काम संभाले. लेकिन धीरे-धीरे पार्टी को सेवादल की जरुरत कम लगने लगी और वह केवल पार्टी के कार्यक्रमों में व्यवस्थाएं संभालने वाला संगठन बनकर रह गया. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कांग्रेस सेवादल में फर्क यह है कि आरएसएस जहां मातृ संगठन है और विभिन्न संस्था-संगठनों का नेतृत्व करता है वहीं कांग्रेस सेवादल कांग्रेस का एक अग्रिम संगठन है. आरएसएस भले ही कांग्रेस सेवादल के दो साल बाद अस्तित्व में आया हो लेकिन अब वह पॉवरफुल संगठन है.

बीजेपी का राष्ट्रवाद का एजेंडा पसंद किया जा रहा है
अब कांग्रेस को एक बार फिर से सेवादल की जरुरत महसूस होने लगी है. आरएसएस की विचारधारा का मुकाबला करने के लिए अब फिर से कांग्रेस सेवादल को तैयार किया जा रहा है. देश में आरएसएस और बीजेपी का राष्ट्रवाद का एजेंडा पसंद किया जा रहा है और कांग्रेस धीरे-धीरे सिमटती जा रही है. कांग्रेस इस कथित राष्ट्रवाद के एजेंडे को भ्रमित और गुमराह करने वाला बता रही है. इसके साथ ही कह रही है कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है.

सेवादल गांव स्तर पर संभालेगा मोर्चा
आरएसएस का पुरजोर तरीके से कांग्रेस पार्टी मुकाबला कर पाए इसके लिए सेवादल को तैयार किया जा रहा है. सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई का कहना है कि सेवादल अब नए कलेवर में नजर आएगा. सेवादल में निचले स्तर तक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है. ये प्रशिक्षित सेवादल कार्यकर्ता गांव-गांव तक जाकर मोर्चा संभालेंगे. सेवादल पदाधिकारी कह रहे हैं कि हम ‘प्रचारक’ नहीं बल्कि ‘विचारक’ तैयार करेंगे और आरएसएस जैसी संस्थाओं के एजेंडे का मुंह तोड़ जवाब देंगे.

डंडे का मुकाबला झंडे से होगा
वर्तमान में देश में आरएसएस का राष्ट्रवाद का एजेंडा हावी हो रहा है तो कांग्रेस को सेवादल के जज्बे की जरुरत फिर से महसूस होने लगी है. कांग्रेस सेवादल भी इसे आजादी की दूसरी लड़ाई करार दे रहा है. सेवादल प्रदेशाध्यक्ष हेमसिंह शेखावत का कहना है कि डंडे का मुकाबला झंडे से और प्रचारक का मुकाबला विचारक से किया जाएगा. अब देखना होगा कि लंबे समय तक नेपथ्य में रहा सेवादल अपने आप को कितना मजबूत कर आरएसएस का मुकाबला कर पाता है.

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