भारतीय महिलाओं में कोरोना वायरस से मौत का खतरा पुरुषों से अधिक: स्टडी

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LAST UPDATED: JUNE 13, 2020,

नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच एक ताजा अध्ययन (New Research) में सामने आया है कि कोरोना वायरस से मौत (COVID-19 Death) का खतरा भारतीय महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले अधिक है. 20 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक, संक्रमित महिलाओं में मौत का प्रतिशत (Case Fatality Rate) 3.3 रहा है, जबकि पुरुषों में ये प्रतिशत 2.9 है. ये रिसर्च ग्लोबल हेल्थ साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. रिसर्चर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए महिलाओं को ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है.

कई इंस्टिट्यूट ने साथ मिलकर की रिसर्च
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर ने भारत और अमेरिका के रिसर्च इंस्टिट्यूट के साथ मिलकर इस शोध को पूरा किया है. रिसर्च के मुताबिक कोरोना संक्रमण के मामले में भारतीय पुरुषों पर महिलाओं से कहीं ज्यादा खतरा है. 20 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक, 66 प्रतिशत पुरुष जबकि 34 प्रतिशत महिलाएं संक्रमित हुई थीं.

मंत्रालय का डेटा

इससे पहले भारत के परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय द्वारा कहा गया था कि कोरोना के तीन चौथाई (यानी 75%) मामले पुरुषों में संक्रमण के हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में कोरोना का डेथ रेट 3.34 प्रतिशत बताया है. रिसर्चर्स के मुताबिक ये 4.8 प्रतिशत तक हो सकता है.

अपने तरह की पहली स्टडी
स्टडी से जुड़े रहे प्रोफेसर एसवी सुब्रमण्यन के मुताबिक अभी तक भारत में कोरोना डेथ रेट को उम्र-लिंग के आधार पर नहीं देखा गया था. इस स्टडी के मुताबिक महिलाओं में कोरोना से मौत का खतरा ज्यादा है. हालांकि इससे पहले दुनिया के अन्य देशों में हुई रिसर्च के मुताबिक कोरोना के संक्रमण और मौत का खतरा पुरुषों में ज्यादा बताया गया था.

क्या कहती हैं पहले की रिसर्च
गौरतलब है कि इससे पहले विदेशों में हुए कई रिसर्च में कहा जा चुका है कि कोरोना संक्रमण का खतरा महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है. बीते महीने ही लंदन के यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन की में कहा गया था कि पुरुषों में मौत का खतरा ज्यादा है. स्टडी के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मौत की दर 1.99 फीसदी ज्यादा रही. महामारी के ऊपर ये अब तक की सबसे बड़ी स्टडी है. इस स्टडी में 1 फरवरी से लेकर 25 अप्रैल के बीच एनएचएस के करीब 1 करोड़ 74 लाख लोगों के डाटा का विश्लेषण किया गया.

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