September 11, 2025

Earthquake Risk Zones: भारत के 59 फीसदी एरिया में भूकंप का रिस्क, इन राज्यों को सबसे ज्यादा खतरा

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Updated at : 08 Feb 2023

Earthquake Risk In India: हाल ही में आए भूकंप ने तुर्किए और सीरिया में हजारों लोगों की जान ले ली और सैकड़ों इमारतों को नष्ट कर दिया. अभी तक 8000 लोगों की मौत की सूचना है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल अब लोगों के मन में यह है कि ‘भारत भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है?’ सरकार के अनुसार, भारत का लगभग 59 प्रतिशत भूभाग अलग-अलग तीव्रता के भूकंपों के प्रति संवेदनशील है. आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहर और कस्बे जोन-5 में हैं और यहां सबसे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप का खतरा है. यहां तक ​​कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) भी जोन-4 में है, जो दूसरी सबसे ऊंची श्रेणी है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह ने जुलाई 2021 में लोकसभा (Lok Sabha) को सूचित किया था कि “देश में भूकंपों के रिकॉर्ड किए गए इतिहास को देखते हुए, भारत की कुल भूमि का 59% हिस्सा अलग-अलग भूकंपों के लिए संवेदनशील है.” उन्होंने कहा कि देश के भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र के अनुसार, कुल क्षेत्र को चार भूकंपीय क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है.

ऐसे बांटे गए हैं जोन

जोन 5 वह क्षेत्र है जहां सबसे तीव्र भूकंप आते हैं, जबकि सबसे कम तीव्र भूकंप जोन 2 में आते हैं. देश का लगभग 11% क्षेत्र जोन 5 में, 18% क्षेत्र जोन 4 में, 30% क्षेत्र जोन 3 में और शेष क्षेत्र जोन 2 में आता है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश, बिहार, असम, मणिपुर, नागालैंड, जम्मू और कश्मीर और अंडमान और निकोबार जोन-5 में आते हैं.

हिमालयन रीजन में जोखिम सबसे ज्यादा

मध्य हिमालयी क्षेत्र दुनिया में सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है. 1905 में कांगड़ा एक बड़े भूकंप से प्रभावित हुआ था. वहीं, 1934 में  बिहार-नेपाल भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 8.2 मापी गई थी और इसमें 10,000 लोग मारे गए थे. 1991 में उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता के भूकंप में 800 से अधिक लोग मारे गए थे. उसके बाद 2005 में कश्मीर में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था. जिसमें 80,000 लोग मारे गए थे.

दिल्ली-गुरुग्राम में भी भूकंप का खतरा

एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली तीन सक्रिय भूकंपीय रेखाओं के पास स्थित है: सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद. विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुग्राम दिल्ली-एनसीआर में सबसे जोखिम भरा इलाका है, क्योंकि यह सात फॉल्ट लाइन पर स्थित है. अगर ये सक्रिय हो जाते हैं, तो उच्च तीव्रता का भूकंप आ सकता है और वो तबाही मचा देगा.

भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि चूंकि दिल्ली-एनसीआर हिमालय के करीब है, इसलिए यह टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों को महसूस करता है. हिमालय बेल्ट में कोई भी भूकंप दिल्ली-एनसीआर को प्रभावित कर सकता है.

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