March 26, 2025

कब है हरियाली तीज ? जानिए शुभ महूर्त, पौराणिक महत्व और पूरी व्रत कथा

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22 Jul 2020 ,

Hariyali Teej 2020: सावन के महीने में हर महिला हरियाली तीज का इंतजार करती है. हरियाली तीज को सौन्दर्य और प्रेम का त्योहार माना जाता है इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. घर की सुख संमृद्धि के लिए महिलाएं हरियाली तीज का व्रत करती हैं. कहते हैं इस व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के रुप में हरियाली तीज मनाई जाती है. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतिया को हरियाली तीज मनाई जाती है इस बार 23 जुलाई को हरियाली तीज मनाई जाएगी.

 

क्या है शुभ मुहूर्त
तृतिया आरंभ- 22 जुलाई शाम 7 बजकर 23 मिनट से
तृतिया समाप्त- 23 जुलाई शाम 5 बजकर 4 मिनट तक

 

क्या है पूजन की विधि
हरियाली तीज पर घर की साफ सफाई करें. चौकी पर मंडप सजाकर मिट्टी से  भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं. आप मिट्टी में गंगाजल भी मिला सकते हैं. सभी प्रतिमाओं को चौकी पर स्थापित कर दें. इसके बाद सभी देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें. महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. हरियाली तीज व्रत का पूरी रात चलता है. इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण करते हुए भजन कीर्तन करती हैं. कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को कर सकती हैं.

 

हरियाली तीज की पौराणिक मान्यता
शिव पुराण में कहा गया है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इसके लिए माता पर्वती को 108 जन्म लेने पड़े. शक्ति ने 107 जन्मों तक कठोर तपस्या की जिसके बाद108वें जन्म में माता ने अपने तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया. परिणाम स्वरूप महादेव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया. इस दिन भगवान भोलेनाथ ने अपने और माता पार्वती के मिलन की कहानी माता पार्वती को सुनाई थी. तभी से महिलाएं प्रेम के इस त्योहार को मनाती है.

 

हरियाली तीज व्रत कथा
भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि तुमने मुझे पति के रुप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर कठिन तप किया था. अन्न जल त्यागकर तुमने मेरा ध्यान किया. सर्दी, गर्मी और बारिश में लगातार तुमने अपनी तपस्या जारी रखी. तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे. तब उनके पास नारद जी पहुंचे और कहने लगे कि भगवान विष्णु आपकी कन्या की तपस्या से खुश हुए हैं और उससे विवाह करना चाहते हैं. नारदजी की बातें सुनकर पर्वतराज बहुत खुश हुए.

 

उन्होंने कहा कि वो इस विवाह के लिए तैयार हैं. भगवान शिव ने आगे कहा पार्वती जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ. क्योंकि तुम मुझे यानि शिव को मन से अपना पति मान चुकी थीं.  बाद में तुम किसी को बिना बताए जंगल में एक गुफा में जाकर तपस्या करने लगी. तुम्हारे पिता ने तुम्हें खोजने के लिए धरती-पाताल छान दिए, लेकिन तुम नहीं मिलीं. इसके बाद भाद्रपद तृतीय शुक्ल को मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी की. बाद में तुमने ये बात अपने पिता को बताई और कहा कि पिताजी में आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह भगवान शिव से कराएंगे.

 

तुम्हारे पिता ने बात मान ली और पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह कराया. भगवान शिव ने कहा है पार्वती तुमने तृतीया को मेरी आराधना और व्रत किया था, मैने तुम्हारी इच्छा पूरी की. इसी तरह इस व्रत को निष्ठापूर्वक करने वाली हर महिला को मैं मनवांछित फल देता हूं. इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे अचल सुहाग की प्राप्ति होगी.

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