हरतालिका तीज आज, जानें क्या है पौराणिक महत्व ?
नई दिल्ली, 21 अगस्त 2020, अपडेटेड
आज हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. कई जगह ये व्रत कुआंरी कन्याएं भी रखती हैं. हरतालिका तीज को तीजा भी कहते हैं. ये त्योहार खासतौर से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाता है. हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. इस व्रत के नियम बहुत कठिन माने जाते हैं.
हरतालिका तीज व्रत के नियम
– हरतालिका तीज का व्रत बहुत नियमों के साथ किया जाता है. इस दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन सुबह पूजा करने के बाद जल ग्रहण करने का विधान है.
– एक बार हरतालिका तीज व्रत करने के बाद इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है. हर साल इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए.
– हरतालिका तीज व्रत के दिन महिलाएं रात भर जाग कर भजन किर्तन करती हैं. इस दिन रात में सोना शुभ नहीं माना जाता है.
हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व
पुराणों के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था. इसी दिन पार्वती जी ने व्रत रखकर शिव जी को प्राप्त किया था. इसलिए इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विशेष विधान है. जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्दी शादी की कामना करती हैं उन्हें भी आज के दिन व्रत रखना चाहिए. इससे उनके शीघ्र विवाह का योग बनता है.
हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शंकर भगवान को पति के रूप में पाने के लिए भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की थी. माता पार्वती ने भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और रात भर जागकर भोलेनाथ की आराधना की. माता पार्वती का ये कठोर तप को देखकर शंकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए. भोलेशंकर ने पार्वती जी को अखंड सुहाग का वरदान दिया और अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया.