September 11, 2025

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर हिंदू महासभा ने कालीचरण को दिया ‘गोडसे भारत रत्न’ सम्मान

0
kalicharan-godse-samman

LAST UPDATED : 

ग्वालियर. देश में जहां महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को रविवार को शहीद दिवस के रूप में मनाया, वहीं हिन्दू महासभा ने ग्वालियर में ‘गोडसे स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया. इतना ही नहीं, गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वाले कालीचरण महाराज सहित पांच लोगों को ‘गोडसे भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया. इन सभी ने महात्मा गांधी के खिलाफ बयानबाज़ी की थी. कालीचरण का सम्मान पत्र हिन्दू महासभा के नेता प्रमोद लोहपात्रे ने लिया. साल 2017 में नाथूराम गोडसे का मन्दिर बनाने के बाद हुए विवाद में जेल जाने वाले हिंदू महासभा के नेताओं सहित चार लोगों को भी “गोडसे भारत रत्न” सम्मान पत्र दिए गए. हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने “गोडसे भारत रत्न” समारोह के दौरान संगठन के युवाओं को भारत-पाकिस्तान को एक करने के लिए शपथ दिलाई. हालांकि इस मसले पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई है.

कांग्रेस ने किया विरोध, भाजपा ने अभिव्यक्ति की आज़ादी बताया
हिन्दू महासभा के ” गोडसे भारत रत्न” सम्मान समारोह को लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया है. हिन्दू महासभा के आयोजन पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस MLA सतीश सिकरवार ने कहा कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या हुई थी लेकिन अब गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वाले लोग गांधी जी की रोज हत्या कर रहे हैं. लिहाज़ा प्रशासन को ऐसे आयोजनों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करना चाहिए. इधर, BJP के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने हिन्दू महासभा के आयोजन को आज़ादी की अभिव्यक्ति बताया है. शर्मा ने कहा कि कोई राह चलते सम्मान दे दें तो भारत रत्न थोड़े हो जाता है.

गोडसे ने ग्वालियर में रची थी गांधी की हत्या की साज़िश
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. गांधी जी की हत्या की तैयारी नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में ही की थी. 23 जनवरी 1948 की रात गोडसे अपने साथी नारायण आप्टे के साथ पंजाब मेल से ग्वालियर पहुंचा था. नाथूराम गोडसे ग्वालियर इसलिए आया क्योंकि यह शहर महासभा की गतिविधियों का एक प्रमुख केन्द्र था. रात एक बजे ग्वालियर पहुंचा गोडसे स्टेशन से सीधे हिंदू महासभा के बड़े नेता रहे डॉ परचुरे के पास पहुंचा था.

गोडसे के कहने पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता दण्डवते ने उनके लिए पिस्टल का इंतज़ाम किया, लेकिन गोडसे को पिस्टल ठीक नहीं लगी, लिहाज़ा दण्डवते ने सिंधिया रियासत के सैन्य अधिकारी से मुसोलिन की सेना से जब्त विदेशी पिस्टल का 500 रुपये में सौदा किया. गोडसे ने 300 रुपये दिए बाकी रुपये काम होने के बाद देने को कहा. इस पिस्टल से गोडसे ने स्वर्णरेखा नदी के किनारे निशाना लगाने की प्रैक्टिस भी. इसके बाद 29 जनवरी की रात नाथूराम गोडसे अपने साथी आप्टे के साथ दिल्ली रवाना हो गया.

30 जनवरी 1948 की शाम 5 बजे महात्मा गांधी दिल्ली में प्रार्थना सभा के लिए निकले थे. उस दिन प्रार्थना में ज्यादा भीड़ थी. फौजी कपड़ों में नाथूराम गोडसे अपने साथियों करकरे और आप्टे के साथ भीड़ में घुल-मिल गया. महात्मा गांधी अपनी दो सहयोगियों आभा और तनु के साथ थे. गोडसे ने तनु और आभा को बापू के पैर छूने के बहाने एक तरफ किया. बापू के पैर छूते-छूते पिस्टल निकाल ली और तीन गोलियां महात्मा गांधी के शरीर में उतार दी थीं. महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे और उनके साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. 15 नवंबर 1949 को जेल में नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई थी.

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed