प्रेस की आजादी से लेकर हैप्पीनेस इंडेक्स तक में भारत की खराब रैकिंग, क्या साजिश है?

अंतर्राष्‍ट्रीय, मुख्य समाचार

Updated at : 31 May 2023

शासन और प्रेस की स्वतंत्रता जैसे मामलों पर भारत की खराब रैंकिंग के पीछे क्या एक साजिश है और क्या इसके पीछे कोई खास एजेंडा है. भारत सरकार की ओर से अब इसको लेकर सख्त कदम उठाए जाने की तैयारी हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक प्रमुख सलाहकार ने शुक्रवार को रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि विदेशी एजेंसियां भारत को हर क्षेत्र में कम रैंकिंग देकर एक एजेंडा चला रही हैं. अब हम इसके खिलाफ बहुत जल्द कदम उठाएंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक अन्य विकासशील देश इसे लेकर चिंतित हैं. इन रैंकिंग को प्रभावी रूप से नए तरह का उपनिवेशवाद माना जा रहा है. अलग देशों के संबंधित मंत्रालयों और रेटिंग एजेंसियों को एक साथ जुड़ने और बातचीत करने के लिए कहा जा रहा है.

संजीव सान्याल ने रॉयटर्स को बताया कि आने वाले समय में ये एजेंसियां अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वित्तीय विकास सूचकांक, यूएनडीपी द्वारा लैंगिक असमानता और मानव विकास सूचकांक में भारत को और पीछे धकेलेंगी.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर हाल ही में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में ये कह चुके हैं कि सरकार विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की रैंकिंग करने वाले समूह से असहमत हैं. उन्होंने सीधे तौर पर रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का नाम लेते हुए ये बात कही थी. उन्होंने असहमति जताते हुए रैंकिंग एजेंसियों के लोकतांत्रिक सिद्धांतों की कमी का हवाला दिया था. अनुराग ठाकुर ने एजेंसियों को अपारदर्शी पद्धति अपनाए जाने की बात भी कही थी.

वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की तैयारी में भारत

मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा ‘भारत ने वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि सूचकांकों को “उत्तरी अटलांटिक में थिंक-टैंक के एक छोटे समूह” द्वारा संकलित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसी भी सूचकांक में पीछे होने का मतलब सिर्फ एक आंकड़ा नहीं होता है, इसका सीधा असर व्यापार, निवेश और अन्य गतिविधियों पर पड़ता है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की तरफ से जारी नए विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत अफगानिस्तान और पाकिस्तान से नीचे है. वहीं वी-डेम इंस्टीट्यूट की एकैडमिक फ्रीडम सूचकांक में भारत पाकिस्तान और भूटान से नीचे था.

कई मंचों को वैश्विक सूचकांक मामले पर आगाह कर चुका है भारत

सान्याल ने कहा कि पिछले एक साल में भारत ने अलग-अलग बैठकों में विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) जैसे संस्थानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वैश्विक सूचकांकों को संकलित करने के तरीकों में खामियां के बारे में बताया है.

सान्याल ने कहा,’ हमनें इस बारे में विश्व बैंक के अलवा कई संस्थानों से बात की है. विश्व बैंक, डब्ल्यूईएफ, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और वी-डीईएम इंस्टीट्यूट ने अभी तक इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस मामले को कैबिनेट सचिवालय द्वारा उठाया जा रहा है, जिसने इस साल इस मुद्दे पर 12 से ज्यादा बैठकें की हैं. हांलाकि कैबिनेट सचिवालय और वित्त मंत्रालय ने अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया.

रॉयटर्स में छपी खबर के मुताबिक भारत जी-20 की अध्यक्षता में विकासशील देशों का हिमायती बनने की योजना बना रहा है. सान्याल ने यह नहीं बताया कि  भारत ने जी-20 के साथ देशों की रैंकिंग का मुद्दा उठाया है या नहीं. बता दें कि अमेरिका की थिंक टैंक कंपनी ‘फ्रीडम हाउस’ रैंकिंग तय करती है. इसका आधार इस तरह है-

बता दें कि भारत लगातार अलग-अलग क्षेत्रों रैंकिंग में पिछड़ता जा रहा है. इसमें प्रेस की स्वतंत्रता से लेकर हैप्पनेस इंडेक्स तक के रैंक में भारत को कम रैंक मिला है.

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट’ नाम से एक सालाना रिपोर्ट हर साल जारी होती है.  यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क इस रिपोर्ट को जारी करता है. पिछली बार के मुकाबले भारत की रैंकिंग में सुधार  हुआ है . लेकिन भारत नेपाल, चीन और बांग्लादेश जैसे अपने पड़ोसी देशों से भी नीचे है. यहां तक कि जंग लड़ रहे रूस और यूक्रेन भी इस लिस्ट में भारत से आगे हैं. रूस 70वें और यूक्रेन 92 वें पायदान पर है

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में खराब रैंक

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भुखमरी एक गंभीर समस्या है. हर दिन सात में से एक व्यक्ति भूखे सोता है. 2020 में भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 94वें स्थान पर था. तो वहीं 2021 में सात पायदान फिसलकर 101वें स्थान पर जा पहुंचा. 2023 में 107 पहुंच गया.

2016 में, ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने पाकिस्तान को 32.1 स्कोर दिया था, जो भारत के 28.8 के स्कोर से ज्यादा था. पाकिस्तान एकमात्र ऐसा पड़ोसी देश था जो  भारत आगे था.  2012-21 में नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान की तुलना में भारत के स्कोर में कमी आई है.

इसका मतलब समझिए

खाद्य असुरक्षा का लगातार बढ़ता स्तर भारत में बच्चों की सेहत पर लंबा और गहरा असर डालता है.  खाने पीने की कमी से माएं कुपोषित होती हैं और वो कुपोषित बच्चों को जन्म देती हैं.

फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021 की रिपोर्ट में भी पिछड़ा भारत

2021 में वॉशिंगटन स्थित प्रतिष्ठित थिंक टैंक फ्रीडम हाउस ने अपनी रिपोर्ट में भारत के फ्रीडम स्कोर को घटा दिया है. इस स्कोर को घटाने का मतलब ये हुआ कि भारत का दर्जा पिछले साल के “फ्री” यानी स्वतंत्र से “पार्टली फ्री” कर दिया गया है. यानी प्रेस और मीडिया को भारत में बोलने की आजादी नहीं है.

बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक संघ विचारक और बीजेपी के राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा कहते हैं कि ये एक तरह का प्रोपगैंडा है. पश्चिमी देशों में मौजूद एक तबका  भारत की छवि खराब करने के लिए साजिश रच रहा है. वे कहते हैं, “पश्चिमी देशों की ताक़तों को भारत का एक महाशक्ति के तौर पर खड़ा होना हज़म नहीं हो रहा है.”

धार्मिक आजादी में भी पिछड़ा भारत

फ्रीडम हाउस ने लोगों को अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त करने में मिलने वाली आजादी के आधार पर भारत को 4 में से 2 नंबर दिए हैं. 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत आधिकारिक तौर पर सेक्युलर राज्य है, लेकिन हिंदू राष्ट्रवादी संगठन और कुछ मीडिया आउटलेट्स मुस्लिम-विरोधी विचारों को प्रमोट करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गतिविधि को बढ़ावा देने का आरोप नरेंद्र मोदी की सरकार पर भी लगता है. रिपोर्ट के मुताबिक गायों के साथ दुर्व्यवहार या गोहत्या के लिए मुसलमानों पर हमले किए जाते हैं.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स क्या है?

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है . इसकी स्थापना 1985 में मोंटपेलियर में चार पत्रकारों द्वारा सूचना की स्वतंत्रता की रक्षा और प्रचार के लिए की गई थी. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स को संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोप की परिषद और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ फ्रेंकोफोनी (ओआईएफ) के  सलाहकार होने का दर्जा प्राप्त है.

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