September 11, 2025

वुहान शहर में रुके भारतीयों ने बताया Coronavirus से निपटने का एकमात्र रास्ता

0
indians-in-wuhan-say-only-ways-to-contain-covid-19-mplive

Published on: April 09, 2020,

बीजिंग/वुहान: चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये लगाया गया 11 सप्ताह का बंद खत्म होने के बाद जश्न का माहौल है। इस बीच महामारी के प्रकोप के दौरान शहर में ही रुके रहे कुछ भारतीयों ने भारत को संदेश दिया है कि कोविड-19 से बचने के लिये सख्त लॉकडाउन और भौतिक दूरी ही एकमात्र रास्ता है। वुहान में मौजूद भारतीय इस बात को लेकर खुश हैं कि दो महीने से अधिक समय तक चला जानलेवा खतरा बुधवार को समाप्त हो गया।

वुहान में हाईड्रोबायोलॉजिस्ट के तौर पर काम कर रहे अरुणजीत टी सार्थजीत ने कहा, ”मैं 73 दिन से भी ज्यादा समय तक अपने कमरे में ही रहा। अनुमति लेकर ही मैं अपनी प्रयोगशाला पर जा रहा था। आज मैं ठीक से नहीं बोल पा रहा हूं क्योंकि इन हफ्तों के दौरान मैं ज्यादा नहीं बोलता था क्योंकि हर कोई अपने घरों में ही था और मेरे साथ बातचीत करने के लिये कोई नहीं था।”

भारत ने एअर इंडिया के दो विशेष विमानों के जरिये लगभग 700 भारतीयों और विदेशियों को बाहर निकाला था लेकिन केरल के निवासी अरुणजीत ने यहीं रहने का फैसला किया और बहादुरी से हालात का सामना किया क्योंकि उन्हें लगा कि भारतीयों के लिये एक संकटग्रस्त स्थान से भागना अच्छी बात नहीं हैं। चीन के हुबेई प्रांत में अबतक कोरोना वायरस से संक्रमण के 67,803 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 50,008 मामले प्रांत की राजधानी वुहान से सामने आए हैं।

अरुणजीत उन चंद भारतीयों में से एक हैं जिन्होंने एक करोड़ से अधिक की आबादी वाले कोरोना वायरस के केन्द्र वुहान शहर को नहीं छोड़ने का फैसला लिया। माइक्रोबायोलॉजिस्ट से हाईड्रोबायोलॉजिस्ट बने अरुणजीत वुहान में एक शोध परियोजना का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू करके अच्छा किया लेकिन देश को मॉनसून के दौरान बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उस दौरान लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

अरुणजीत ने कहा कि उस दौरान वायरस घातक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर वुहान से कोई सबक लिया जा सकता है तो वह कड़ा लॉकडाउन और भौतिक दूरी बनाए रखना है। वुहान में रह रहे एक अन्य भारतीय और पेशे से वैज्ञानिक भी अरुणजीत की बातों से पूरी तरह सहमत हैं। वह भी यहीं ठहरे हुए थे।

उन्होंने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, ”मैंने 72 दिनों तक खुद को अपने घर में कैद रखा। मेरे पड़ोसी के तीन बहुत छोटे बच्चे हैं। मैंने उन्हें एक बार भी उनके फ्लैट से बाहर आते नहीं देखा।” उन्होंने भारतीयों को लॉकडाउन का पालन करने की सलाह देते हुए, ”मुझे इस बात की खुशी और सुकून है कि मैं बच गया, लेकिन मैं अब भी बाहर जाने से परहेज कर रहा हूं क्योंकि मैं वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आ सकता हूं।” उन्होंने वुहान में ही रहने का फैसला किया और भारतीय दूतावास की पेशकश को ठुकरा दिया।

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed