Cryptocurrency के समर्थन में आए Infosys प्रमुख नंदन नीलेकणि

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Cryptocurrency News: इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि (Infosys Chairman Nandan Nilekani) ने कहा कि क्रिप्टो संपत्तियां (Crypto assets) विचार करने योग्य हैं और इसका इस्तेमाल अधिक वित्तीय समावेशन (financial inclusion) लाने के लिए किया जा सकता है. रॉयटर्स नेक्ट कॉन्फ्रेंस में नीलेकणि ने ये बात कहीं.

वित्तीय समावेशन यानी फाइनेंशयल इन्क्लूजन (financial inclusion) का मतलब समाज के पिछड़े और कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है. इसके साथ ही ये सेवाएं उन लोगों को सस्ती कीमत पर मिलनी चाहिए.

1981 में आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) की स्थापना करने वाले नंदन नीलेकणी ने कहा, “एक संपत्ति के रूप में क्रिप्टोकरेंसी की एक भूमिका होती है, लेकिन इस करेंसी को सभी कानूनों का पालन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि यह वित्तीय बाजार में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैक डोर ना बन जाए.”

नीलेकणि ने कहा कि उच्च लेनदेन लागत (high transaction costs) और अस्थिरता के कारण क्रिप्टो लेनदेन के लिए उपयुक्त नहीं है.

नंदन नीलेकणी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को कानूनी दायरे में लाने की योजना बना रही है और क्रिप्टो को एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में वर्गीकृत करना चाह रही है. सरकार ने कहा है कि वह केवल कुछ क्रिप्टोकरेंसी को अंतर्निहित तकनीक (underlying technology) और इसके उपयोग को बढ़ावा देने की अनुमति देगी.

निश्चित ही नीलेकणि का यह बयान क्रिप्टो में निवेश करने वालों को सकारात्मक संकेत का काम करेंगे. क्योंकि सरकार के एक्शन के बाद भारतीय क्रिप्टो बाजार में इस समय हलचल मची हुई है.

नंदन नीलेकणि तकनीकी दुनिया के दिग्गज हैं. नीलेकणि 2009 में मनमोहन सरकार में UIDAI (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के चेयरमैन और कैबिनेट मंत्री रहे हैं. भारत में आधार नंबर को लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. इसलिए क्रिप्टो को लेकर नीलेकणि का बयान बहुत मायने रखता है.

एनआर नारायणमूर्ति ने 1981 में जिन पांच लोगों के साथ मिलकर इंफोसिस (Infosys) की नींव रखी थी, उनमें नंदन नीलेकणी भी शामिल थे. 2002 में नंदन नीलेकणी इंफोसिस के CEO बने.

नीलेकणी ने कहा, “अगर हमारे पास मुद्रा के रूप में नहीं बल्कि संपत्ति के रूप में एक बहुत अच्छी तरह से विनियमित और कानूनी क्रिप्टो बाजार है. और बहुत से युवा क्रिप्टो को लेकर नए-नए प्रयोग कर रहे हैं तो निश्चित ही ये नौजवान वैश्विक कंपनियों की लहर पैदा कर सकते हैं.”

भारत में इस समय डेढ़ से दो करोड़ क्रिप्टो निवेशक हैं, जिनकी कुल क्रिप्टो होल्डिंग्स लगभग 40 करोड़ रुपये है.

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर में कहा था कि सभी लोकतांत्रिक देशों को एक साथ काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकती है.

भारत के केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (central bank digital currency) अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में लॉन्च हो सकती है. सरकार डिजिटल करेंसी को कानून के दायरे में लाने के लिए संसद में एक बिल भी ला रही है.

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