Kala Namak Rice: ये है तमाम बासमती राइस से भी महंगा यूपी का ‘काला मोती’

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Updated: 14 Mar 2021,

Kala Namak Rice: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार को काला नमक चावल महोत्सव में कहा कि ‘एक जिला-एक उत्पाद योजना’ आने के बाद काला नमक धान की बुवाई काफी बढ़ गई है। यूपी सरकार काला नमक चावल को सिद्धार्थनगर जिले के उत्पाद के रूप में ब्रांडिंग कर रही है। वैसे तो काला नमक चावल अब सिर्फ नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय (World Famous Rice) हो गया है, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें काला नाम चावल के बारे में या तो बहुत कम पता है या पता ही नहीं है। आइए जानते हैं क्या खास है इस चावल में और क्या है इसकी कीमत।

काला नामक चावल भारत के सबसे शानदार क्वालिटी वाले चावलों में से एक है। इसका नाम काला नमक चावल इसलिए पड़ा है क्योंकि इसका धान काले रंग का होता है यानी इसकी भूसी का रंग काला होता है। हालांकि, इसका चावल सफेद रंग का ही होता है। इस चावल से एक खुशबू भी आती है, जिसकी वजह से इसे यूपी का खुशबू वाला काला मोती (scented black pearl) भी कहा जाता है।

काला नामक चावल की खेती आज से नहीं, बल्कि बौद्ध काल (600 BC) से की जा रही है। पूर्वी यूपी के हिमालयन तराई इलाके में इसकी खूब खेती होती है। इस चावल को न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में प्रसिद्धि मिली हुई है। यूनाइटेड नेशन्स के फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ने दुनिया भर के शानदार चावलों पर लिखी अपनी किताब स्पेशियलिटी राइसेस ऑफ द वर्ल्ड (Speciality rices of the world) में भी यूपी के काला नमक चावल का जिक्र किया है।

अगर चावल की लंबाई को छोड़ दें तो ये सभी बासमती चावलों में सबसे महंगा है। काला नामक चावल बासमती चावल नहीं है, जो लंबाई में छोटा होता है। हालांकि, इसकी खुशबू बासमती की हर तरह की वैरायटी से भी अच्छी होती है। इंटरनेशनल मार्केट में भी सबसे शानदार चावलों की गुणवत्ता मापने के जो पैरामीटर होते हैं, ये चावल उन सभी पर खरा उतरता है और अधिकतर बासमती चावल को पछाड़ने वाला है।

आपको ये कहने वाले बहुत से लोग मिल जाएंगे कि चावल कम खाया करो, इसके फलां-फलां नुकसान हैं। काला नामक चावल की सिर्फ खुशबू ही नहीं होती, बल्कि यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। इसमें आयरन और जिंक जैसे माइक्रो- न्यूट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। ऐसे में आयरन और जिंक की कमी से जन्म से ही होने वाली बीमारियों का रिस्क इस चावल से काफी कम हो जाता है। जो लोग निरंतर काला नामक चावल खाते हैं, उनमें अल्जाइमर की बीमारी का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। डायबिटीज के मरीजों को भी इससे फायदा होता है। सेहत के लिए इसके फायदों की वजह से ही सरकार इस चावल को प्रमोट कर रही है।

अगर बात पूर्वी यूपी की करें तो इसे उगाने की लागत करीब 30-40 रुपये प्रति किलो के करीब आती है, जो बासमती चावल उगाने के 20-25 रुपये प्रति किलो के मुकाबले काफी अधिक है। ऐसे में ये चावल बाजार में 75-80 रुपये प्रति किलो के करीब बिकता है। ऑनलाइन मार्केट में तो इसकी कीमत 300 रुपये तक है। काला नमक चावल की खेती से प्रति हेक्टेयर 22,500 रुपये तक का रिटर्न मिलता है।

 

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