कुबेरेश्वर धाम के रुद्राक्ष महोत्सव में बदइंतजामी, कौन जिम्मेदार ?

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भोपाल. मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम में 16 से 22 फरवरी तक चला रुद्राक्ष महोत्सव तो खत्म हो गया, लेकिन भारी अव्यवस्थाओं के बीच हुआ यह आयोजन अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है. आस्था और विश्वास के नाम पर 7 दिन के इस आयोजन में एक बच्चे, दो महिलाओं सहित 5 लोगों की मौत, कई लोगों के लापता होने और करीब 5 हजार लोगों के बीमार पड़ जाने के लिए जिम्मेदार कौन है? आयोजक, प्रशासन, सरकार की गुप्तचर संस्थाएं रुद्राक्ष पाने के लिए उमड़ने वाली लाखों की भीड़ का अनुमान लगाने में क्यों नाकाम रही? बिना पड़ताल के लिए आयोजन की अनुमति क्यों दी गई? क्या यहां हुए जान-माल के नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों पर पर कोई कार्रवाई होगी?

इस महोत्सव में जान गंवाने, लापता होने वालों के परिजन, बीमार हुए मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली के लोग और भोपाल-इंदौर हाइवे पर 30 किलोमीटर लंबे जाम में फंसने वाले लोग भले ही यह सवाल उठा रहे हो, लेकिन कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा पर कोई कार्रवाई होने की कोई आसार नहीं दिखते, क्योंकि वह समारोह के पंडाल में आयोजन में बदइंतजामियों को दूसरों की साजिश बताते हुए यह ऐलान भी कर रहे थे कि अगली बार इससे भी 4 गुना बड़ा आयोजन करूंगा, देखता हूं, कौन क्या करता हूं. उनके इस बयान के पीछे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का खुला समर्थन था, जो पं. प्रदीप मिश्रा से आशीर्वाद लेने के बाद यह आश्वासन देते हुए बोले थे कि आप तो चार गुना बड़ा आयोजन करिए, व्यवस्थाएं हम करेंगे. बता दें कि पिछले साल प्रशासन द्वारा आयोजन की अनुमति न दिए जाने पर राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने ही प्रशासन के इस कृत्य के लिए माफी मांगी थी और हाथों-हाथ रुद्राक्ष बांटने की छूट दे दी थी.

5 मौतें, सैकड़ों लापता, हजारों बीमार हुए
बता दें कि सीहोर जिले के चितवालिया हेमा नामक जगह पर कई एकड़ भूमि पर पं. प्रदीप मिश्रा का कुबेरेश्वर धाम बन रहा है. इस बार 16 से 22 फरवरी तक यहां रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया गया. घोषणा की गई थी कि अभिमंत्रित रुद्राक्ष बांटे जाएंगे, जिसे पाने वाले पर कृपा बरसेगी और भूख, गरीबी, बीमारी, मुश्किलें सब दूर हो जाएंगी. प्रशासन को अनुमान था कि पहले दिन 2 लाख लोग और महाशिवरात्रि पर करीब 3 लाख लोग पहुंचेंगे, लेकिन इसके विपरीत पहले दिन ही करीब 5 लाख श्रद्धालु पहुंच गए. व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई. रुद्राक्ष पाने की आकांक्षा में लोग ट्रेनों, बसों में भेड़-बकरियों की तरह भरकर, अपने वाहनों से, पैदल चले आए. सीहोर के होटल, धर्मशालाएं सब भर गए, लेकिन प्रशासन इन सबसे गाफिल बना रहा. नतीजा कुबेरेश्वर धाम में लोगों को खाना-पानी, दवा, एंबुलेंस तक नसीब नहीं होने और पहले दिन ही इंदौर-भोपाल हाइवे पर 27 किलोमीटर लंबा जाम लगने के रूप में सामने आया. दूसरी जगहों से सड़क के रास्ते भोपाल आने वालों को घूमकर दूसरे लंबे रास्ते से आना पड़ा, जिसमें उनका कई घंटों का समय, ईंधन और पैसे का नुकसान हुआ.

“मौत आनी होगी, तो आएगी”
कुबेरेश्वर धाम में जब अव्यस्थाएं बढ़ने लगीं और दो दिन में एक बच्चे समेत तीन मौतों की बात सामने आई और जब जाम जान पर बना हुआ था, तब रुद्राक्ष वितरण बंद करा दिया गया. पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने पंडाल में श्रद्धालुओं के सामने कथा वांचते हुए कहा कि मौत आनी होगी तो आएगी. डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों के लापता होने, हजारों लोग उल्टी-दस्त, बुखार के शिकार होने पर अगले दिन पंडाल में अपने प्रवचन में कहा कि सबको तो वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दे सकते. किसी कथावाचक की ऐसी लापरवाही से भरी बात आपने कम ही सुनी होगी. महोत्सव में चौथे दिन तक 5 लोगों की मृत्यु हो चुकी थी. जो मरे, उन्हें सही वक्त पर एंबुलेंस तक नहीं मिली, मौके पर इलाज की बात तो छोड़ ही दीजिए. यह अलग बात है कि पं. मिश्रा अपनी कथाओं में जाम और भगदड़ जैसे हालातों की खबरों का भी खंडन करते रहे.

कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कहा कि अगली बार इससे भी बड़ा आयोजन होगा, देखते है कि कोई क्या साजिश करता है. श्रद्धालुओं से वह बोले कि तुम तीन महीने में फिर आओगे और रुद्राक्ष लेकर जाओगे. अगली बार कोई खाली हाथ नहीं लौटेगा. बता दें कि रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान अखबारों में सुर्खियां बनीं थीं कि स्थानीय दुकानदार अव्यवस्थाओं का फायदा उठाते हुए महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली राजस्थान से आए लोगों को पानी, चाय समोसा, खाना जैसा सामान दोगुने-तीन गुने दामों पर बेचकर लूट रहे हैं.

पिछले साल भी बने थे ऐसे ही हालात
पिछले साल यहां महाशिवरात्रि के अवसर आयोजित रुद्राक्ष महोत्सव में लाखों लोगों की भी भीड़ जुटने से भोपाल-इंदौर हाइवे पर 40 किलोमीटर लंबा जाम लग गया था. एक हादसे में कुछ लोगों की मौत के अलावा कई लोग घायल हो गए थे. पिछले साल की अव्यवस्थाओं से इस साल कोई सबक नहीं लिया गया.

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