लोन रीस्ट्रक्चर कराया तो क्रेडिट रेटिंग में लग जाएगा ठप्पा
नई दिल्ली , 30 सितंबर 2020,
भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की सुविधा अगस्त के बाद खत्म कर दी है, लेकिन बैंकों को यह छूट दी है कि वे चाहें तो अपने ग्राहकों के लोन को रीस्ट्रक्चर कर सकते हैं यानी उसे चुकाने की समय सीमा, ब्याज, ईएमआई आदि में बदलाव कर सकते हैं. लेकिन जानकार कहते हैं कि इसमें एक बड़ी समस्या यह है कि जो ग्राहक लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा लेंगे उनके क्रेडिट रेटिंग में ‘रीस्ट्रक्चर्ड’ का ठप्पा लग जाएगा और आगे लोन उन्हें सख्त शर्तों के साथ मिलेगा.
गौरतलब है कि कोरोना संकट से लोगों को राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे चाहें तो मोरेटोरियम में ईएमआई का भुगतान न करने वालों के लिए आगे लोन की रीस्ट्रक्चरिंग कर सकते हैं.
क्या होती है रीस्ट्रक्चरिंग
लोन रीस्ट्रक्चरिंग का मतलब है किसी लोन को चुकाने की शर्तों में बदलाव. जैसे ब्याज दर कम करना, ईएमआई घटाना या बढ़ाना, लोन चुकाने की अवधि को बढ़ाना या कोई अन्य सहूलियत जिससे ग्राहक को बकाया लोन चुकाने में समस्या न आए.
क्या होती है क्रेडिट रेटिंग
असल में बैंक नियमित रूप से ग्राहकों के लोन के डेटा के बारे में क्रेडिट ब्यूरो को जानकारी साझा करते हैं. इन आंकड़ों के आधार पर ब्यूरो रेटिंग जारी करता है. बैंक, वित्तीय कंपनियां आदि इस रेटिंग के आधार पर ही यह तय करती हैं कि कोई व्यक्ति लोन चुकाने में कितना सक्षम है, उसने डिफाल्ट किया है या नहीं. भारत में कई क्रेडिट ब्यूरो हैं जैसे CIBIL, एक्सपेरियन, इक्विफैक्स आदि, हालांकि ज्यादातर मामलों में सिबिल की रेटिंग का ही इस्तेमाल होता है.
क्या होगा रीस्ट्रक्चर्ड ठप्पे का नुकसान
यदि किसी लोन में ‘रीस्ट्रक्चर्ड’ का ठप्पा लग गया तो आगे ऐसे व्यक्ति को किसी तरह का लोन देने में बैंक संदेह की नजर से देखेंंगे और उससे ज्यादा जमानत मांगेंगे या लोन देने की लिमिट कम कर देंगे. बैंकों का कहना है कि यह वह रिजर्व बैंक के गाइडलाइन के मुताबिक कर रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने तक करीब 50 फीसदी ग्राहकों ने लोन मोरेटोरियम की सुविधा ली है. लोन मोरेटोरियम की सुविधा तो सभी ग्राहकों को उपलब्ध थी, लेकिन अब इसकी रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा कुछ ही ग्राहकों को मिलेगी. उन्हें यह साबित करना होगा कि कोरोना की वजह से उनकी आय घट गई है या सैलरी में कटौती हुई है. इसलिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए आवेदन तभी करना चाहिए जब यह बहुत जरूरी हो.