Chandrayaan-3 की सफलता में MP के इन 4 हीरोज का अहम योगदान

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Last Updated: Aug 24, 2023,

Chandrayaan-3: भारत अब चांद पर पहुंच गया है. ISRO के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग ले आई है. 23 अगस्त 2023 को चांद पर Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग हो गई है. भारतीय वैज्ञानिक के इस अजूबे और भारत की इस बड़ी सफलता में मध्य प्रदेश के 4 हीरो का भी अहम योगदान है. अलग-अलग जिलों से चारों वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘मून मिशन’ में अहम रोल अदा करते हुए मध्य प्रदेश और देश को गौरवांवित किया है.

साइंटिस्ट महेंद्र ठाकरे: बालाघाट जिले के रहने वाले वैज्ञानिक महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. उन्होंने चंद्रयान-1 और मंगलयान सहित कई अंतरिक्ष मिशनों पर काम किया है. 44 साल के महेंद्र 30 साल से ज्यादा समय से अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे हैं. नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के कैंडाटोला गांव के रहने वाले वैज्ञानिक महेंद्र ने पहले एक सरकारी स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद IIT दिल्ली में एडमिशन लिया और वहां से ISRO तक पहुंचे. वे पिछले 16 सालों से बतौर वैज्ञानिक ISRO में काम कर रहे हैं.

वैज्ञानकि प्रियांशु मिश्रा
उमरिया जिले के रहने वाले युवा वैज्ञानकि प्रियांशु मिश्रा ने चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण के लिए बनाए गए लांच व्हीकल एलव्हीएम 3 के अनुसंधान में अहम योगदान दिया है. प्रियांशु 2009 से ISRO में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी स्कूलिंग भोपाल की है. इसके बाद देहरादून से इंजीनियरिंग और रांची से M.Tech कर ISRO तक का सफर तय किया.

वैज्ञानिक ओम पांडे 
सतना जिले से  युवा वैज्ञानिक युवा वैज्ञानिक ओम पांडे ने भी चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभाई है.वे चंद्रयान की अंतरिक्ष की कक्षा और प्रक्षेपवक्र की निगरानी वाली टीम का हिस्सा हैं. इसके अलावा वे चंद्रमा पर लैंडर उतारने की प्रक्रिया में भी शामिल हैं. उन्होंने 2018 में ISRO ज्वाइन किया था.

वैज्ञानिक  तरुण सिंह
रीवा जिले के रहने वाले वैज्ञानिक तरुण सिंह ने 15 साल पहले ISRO ज्वाइन किया था. ISRO के सीनियर वैज्ञानिकों में शामिल तरुण सिंह ने सैनिक स्कूल से अपनी 12वीं तक की अपनी पढ़ाई की है.  इसके बाद उन्होंने इंदौर SGSITS से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इंजीनियरिंग करने के बाद तरुण सिंह ISRO से जुड़ गए.

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