June 16, 2025

MP में जल गंगा संवर्धन अभियान में खंडवा जिला सबसे आगे, 100 फीसदी लक्ष्य किया पूरा

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Updated at : 08 May 2025,

Water Conservation Campaign In MP: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश पुराने जल स्त्रोतों को सहेजने, नया जीवन देने और किसानों को सिंचाई व पीने के लिए नलकूप, कुओं से पर्याप्त मात्रा में पानी मिले, इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश भर में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है.

इसके अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट, सोख्ता गड्ढ़ा, बोरी बंधान सहित बारिश का पानी रोकने के लिए अन्य कार्य किए जा रहे हैं. इसके लिए सभी जिलों को लक्ष्य भी दिया गया है. खंडवा जिला प्रदेश का पहला ऐसा जिला बना है, जिसने कूप रिचार्ज पिट निर्माण में 100 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया है.

4 हजार 700 का मिला था लक्ष्य, बनाए 4 हजार 838 

जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत खंडवा जिले को 4 हजार 700 कूप रिजार्च पिट बनाने का लक्ष्य मिला था, जिसे समय से पहले और लक्ष्य से अधिक पूरा कर लिया गया है. जिले में 4 हजार 838 कूप रिचार्ज पिट बनाएं गए हैं. जिला पंचायत सीईओ खंडवा नागार्जुन बी गौड़ा ने बताया कि इसके साथ ही जिले में 15 हजार कूप रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं, करीब 10 हजार कार्य प्रगति पर हैं.

बारिश के पानी का संचयन करने के लिए भारत सरकार के केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल संचय, जन भागीदारी अभियान राष्ट्रीय अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत देशभर के सभी जिलों में बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट, स्टॉप डैम, सोख्ता गड्ढा सहित विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश का खंड़वा जिला 7 मई की स्थिति में देशभर में तीसरे नंबर पर है.

30 मार्च 2025 से 30 जून 2025 तक चलेगा अभियान

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बारिश के पानी को सहेजने, पुराने जल स्त्रोतों को संवारने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशभर में 30 मार्च 2025 से 30 जून 2025 तक जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है.  कूप रिचार्ज पिट, जिसे रिचार्ज शाफ्ट या रिचार्ज पिट भी कहा जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य भू-जल स्तर को बढ़ावा देना है. बारिश का पानी जमीन के अंदर रिसने से भू-जलस्तर बढ़ता है. साथ ही कूप या नलकूपों के सूखने की संभावना भी कम रहती है. साथ ही सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रहती है.

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