बच्चों का सोशल मीडिया पर बैन लगाना जरूरी? दुनियाभर के देशों में क्या है कानून ?

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Updated at : 07 Oct 2024

क्या ऑस्ट्रेलिया में जल्द ही बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी लग जाएगी? ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ऐसा ही संकेत दिया है. हाल ही में सरकार ने ऐलान किया कि वह एक नया कानून लाएगी जिसके तहत बच्चों को सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के लिए एक न्यूनतम उम्र सीमा तय होगी.

यानी, अगर बच्चे की उम्र  उस सीमा से कम होगी तो फेसबुक, इंस्टाग्राम या कोई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं चला पाएंगे. हालांकि, अभी यह तय नहीं हुआ है कि यह न्यूनतम उम्र सीमा क्या होगी, लेकिन  शायद  यह 14 से 16 साल के बीच हो सकती है.

ऐसा क्यों किया जा रहा है?
दुनियाभर में कई देश  बच्चों को सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए  ऐसे  कानून  बना  रहे  हैं. कई  बार  बच्चे  सोशल  मीडिया  पर गलत संगति में पड़ जाते हैं  या फिर दूसरी तरह की परेशानी में फंस जाते हैं. ऑस्ट्रेलिया  भी  बच्चों  की  सुरक्षा  के  लिए  यह  कदम  उठा  रहा  है.

ऑस्ट्रेलिया में भी कई पेरेंट्स अपने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. इसी कारण वहां की सरकार भी ऐसे कानून बनाने पर विचार कर रही है. ऑस्ट्रेलिया में अगले साल मई में चुनाव होने हैं. वहीं विपक्षी पार्टी ने वादा किया है कि अगर वो चुनाव जीतते हैं तो 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया जाएगा.

सोशल मीडिया पर नियम क्यों जरूरी हैं?
सोशल मीडिया वो वेबसाइट और ऐप हैं जहां लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं, बातचीत करते हैं और अपने विचार शेयर करते हैं. अखबार, मैगजीन, जर्नल और न्यूजलैटर ये सब पुराने जमाने के मीडिया हैं, इन्हें सोशल मीडिया में शामिल नहीं किया जाता.

सोशल मीडिया पर नियम बनाने की मांग इसलिए उठ रही है क्योंकि अक्सर इसका इस्तेमाल गलत खबरें फैलाने, लोगों को भड़काने और  गलत जानकारी देने के लिए किया जाता है. इसीलिए दुनियाभर की सरकारें सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नियम बना रही हैं. अभी ये नियम पूरी दुनिया में एक जैसे नहीं हैं. अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरह के कानून बन रहे हैं.

भारत में सोशल मीडिया के लिए नियम
भारत में बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों से बचाने के लिए 2023 में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) लागू किया गया है. DPDPA के सेक्शन 9 में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के डेटा के इस्तेमाल के लिए तीन शर्तें बताई गई हैं.

  • अगर कोई कंपनी बच्चों की जानकारी इस्तेमाल करना चाहती है, तो उसे पहले उनके माता-पिता से पूछना होगा और उनकी मंज़ूरी लेनी होगी.
  • कंपनियों को बच्चों की जानकारी का इस्तेमाल इस तरह से करना होगा जिससे बच्चों को कोई नुकसान ना हो, बल्कि उनकी भलाई हो.
  • कंपनियां बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर नहीं रख सकतीं, न ही उन्हें टारगेट करके विज्ञापन दिखा सकती हैं.

यह कानून बच्चों को ऑनलाइन दुनिया में सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है. वहीं कर्नाटक हाईकोर्ट ने 2023 में केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के लिए  21 साल की उम्र सीमा तय की जाए.  कोर्ट का मानना है कि स्कूली बच्चों में सोशल मीडिया की लत बढ़ रही है और इसका उनके जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है.

दक्षिण कोरिया में सिंड्रेला कानून
दक्षिण कोरिया में सिंड्रेला कानून या शटडाउन कानून  के तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों को रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक ऑनलाइन गेम खेलने पर रोक थी. यह कानून 2011 में इंटरनेट की लत को कम करने के लिए बनाया गया था, लेकिन 2021 में इसे खत्म कर दिया गया.

अमेरिका में चिल्ड्रन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट
अमेरिका में चिल्ड्रन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट (COPPA) 1998 के तहत वेबसाइट पर 13 साल से कम उम्र के बच्चों की जानकारी अपलोड करने से पहले उनके माता-पिता की मंजूरी लेना जरूरी है. इसी वजह से कई सोशल मीडिया कंपनियां 13 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने की  इजाज़त नहीं देती. एक दूसरा कानून चिल्ड्रन इंटरनेट प्रोटेक्शन एक्ट (CIPA) 2000 के तहत स्कूलों और लाइब्रेरी  में इंटरनेट इस्तेमाल करते समय बच्चों को गलत कंटेंट से बचाने के लिए फिल्टर लगाना जरूरी है.

यूरोप में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए कड़े नियम
यूरोपियन यूनियन ने 2015 में एक कानून बनाने की कोशिश की थी जिससे 16 साल से कम उम्र के बच्चों को माता-पिता की मंजूरी के बिना इंटरनेट चलाने पर रोक लग जाती. वहीं 2018 में यूरोपियन यूनियन ने जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) नाम का कानून लागू किया. यह कानून लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा करता है और उन्हें अपनी जानकारी पर ज्यादा कंट्रोल देता है. GDPR पूरी दुनिया में डेटा सुरक्षा के लिए एक मिसाल है.

यूनाइटेड किंगडम में बच्चों के लिए खास डिजाइन कोड
यूके पहले यूरोपियन यूनियन का हिस्सा था, तब वहां 13 साल से कम उम्र के बच्चों को इंटरनेट चलाने के लिए माता-पिता की मंजूरी लेना जरूरी था. अब मई 2024 में एक सरकारी कमेटी ने इस उम्र को बढ़ाकर 16 साल करने की सलाह दी है.

वहीं यूनाइटेड किंगडम में एज-एप्रोप्रिएट डिजाइन कोड लागू है. इसका मतलब है कि वेबसाइट और ऐप बनाने वालों को बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना होता है. उन्हें ऐसे डिजाइन बनाने होते हैं, जिनसे बच्चों को कोई खतरा न हो.

फ्रांस में माता-पिता की मंज़ूरी जरूरी
जुलाई 2023 में फ्रांस ने एक कानून पास किया है, जिसके तहत 15 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की अनुमति लेना जरूरी है. अगरकोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस नियम का पालन नहीं करता है, तो उस पर उसकी ग्लोबल सेल के 1% तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

इसके अलावा, अगर 16 साल से कम उम्र का कोई बच्चा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के रूप में काम करके पैसे कमाता है, तो उसके माता-पिता उस पैसे को तब तक नहीं छू सकते जब तक वह बच्चा 16 साल का नहीं हो जाता. इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की कमाई सुरक्षित रहे और उनके भविष्य के लिए बची रहे.

चीन में बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम सेट
अगस्त 2023 में चीन ने बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल पर सख्त नियम लागू किए. नए नियमों के अनुसार, 16 से 18 साल के बच्चे केवल दो घंटे प्रतिदिन इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. 8 से 15 साल के बच्चों को एक घंटे की अनुमति है और 8 साल से कम उम्र के बच्चों को सिर्फ 40 मिनट. इसके अलावा, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक बच्चों का इंटरनेट इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है. हालांकि, ऐसे ऐप्स जो बच्चों के विकास में मदद करते हैं, उन पर कुछ छूट दी गई है. चीन का यह कदम बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने और उन्हें डिजिटल दुनिया की निगेटिव चीजों से बचाने के लिए उठाया गया है.

ब्राजील में बच्चों के डेटा की सुरक्षा के लिए कानून
अप्रैल 2023 में ब्राज़ील ने बच्चों के डेटा की सुरक्षा के लिए नए कानून बनाए हैं. ये कानून डिजिटल कंपनियों द्वारा बच्चों की जानकारी इकट्ठा करने और उसका इस्तेमाल करने के तरीके पर  नियंत्रण लगाते हैं. यह कदम लैटिन अमेरिका में बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा देने की कोशिश का हिस्सा है. ब्राजील सरकार का मानना है कि इंटरनेट पर बच्चों की निजता और सुरक्षा बेहद जरूरी है.

ब्राजील में डिजिटल कंपनियों को बच्चों की जानकारी इकट्ठा करने से पहले पेरेंट्स से अनुमति लेना तो है ही. साथ ही कंपनियों को यह स्पष्ट करना होगा कि वे बच्चों की जानकारी का इस्तेमाल कैसे करेंगी. बच्चों को अपनी जानकारी डिलीट करने का अधिकार है. कानून का उल्लंघन करने पर कंपनियों पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

बच्चों का सोशल मीडिया पर लगाम लगाना जरूरी?
सोशल मीडिया पर कई बार गलत या अधूरी जानकारी होती है. कई बार ऐसे पोस्ट होते हैं जो बच्चों के लिए सही नहीं होते. बच्चों को ये समझ नहीं आता क्या सही है क्या गलत और वो इसे सच मान लेते हैं. इससे उनके विचारों पर गलत असर पड़ सकता है. वहीं सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोग होते हैं जो बच्चों से दोस्ती करके उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है.

 

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