MP Election: चुनावी साल में शिवराज सरकार बांटेगी साड़ी-जूता, पानी की बोतल और छाता!

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Updated at : 29 May 2023 ,

MP Assembly Election 2023: चुनावी साल में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार साड़ी-जूता, सैंडल, पानी की बोतल और छाता बांटने जा रही है. प्रदेश के 15.24 लाख परिवारों को एक सरकारी योजना के तहत ये सामान दिया जाएगा. कहा जा रहा है कि जून के तीसरे या चौथे सप्ताह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साड़ी-जूता बांटना शुरू करेंगे.

यहां बता दें कि मध्य प्रदेश में नवम्बर 2023 में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सत्ता में काबिज होने के लिए समाज के हर वर्ग को साधने में लगे हैं. प्रदेश के 15 लाख 24 हजार तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को खुश करने के लिए अब शिवराज सरकार साड़ी, सैंडल, जूता, पानी की बोतल और छाता बांटने जा रही है. सरकार की इस योजना से आदिवासी वोट बैंक को साधने में मदद मिलेगी.

जून अंतिम सप्ताह में होगा वितरण
मध्यप्रदेश लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह के मुताबिक तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को साड़ी, सैंडिल, जूते, पानी की बोतल और छाता वितरण का काम जून माह के अंतिम सप्ताह में किया जाना है.छाते को छोड़कर बाकी सारे उत्पादों की आपूर्ति शुरू हो गई है.इसमें क्वालिटी का विशेष ध्यान रखा गया है.महिलाओं को चप्पल के स्थान पर सैंडिल दी जा रही है,ताकि उन्हें काम करने में कोई तकलीफ न हो.

हर परिवार को मिलेगा एक जोड़ी जूता
योजना के मुताबिक प्रत्येक परिवार को एक-एक नग जूते, पानी की बोतल और छाता दिया जाएगा. लेकिन साड़ी और सैंडल के मामले में बंदिश नहीं होगी.परिवार में जितनी भी महिलाएं होगी, सभी को साड़ी और सैंडल दी जाएगी.छातों को छोड़कर सभी उत्पादों की आपूर्ति लघु वनोपज संघ को होना शुरू हो गई है.छातों पर सरकार वन विभाग का लोगो, सीएम का फोटो या राज्य सरकार के किसी प्रतीक चिन्ह को प्रिंट कराना चाहती है. इसलिए इसके ऑर्डर में कुछ देरी हो रही है.वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल महिलाओं की संख्या 18.21 लाख थी. अब इनकी संख्या 20 लाख से अधिक होने का अनुमान है, इसलिए वन विभाग ने 21 लाख साड़ी और सैंडल का ऑर्डर दिया है.लघु वनोपज संघ के माध्यम से होने वाले इस वितरण पर लगभग 260 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

47 आदिवासी सीटों पर असर
यहां बताते चले कि पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित आदिवासी सीटों में से 31 कांग्रेस जीतने में सफल रही थी,जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं.हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी 47 में से 30 सीटें जीती थीं.इसीलिए बीजेपी एक बार फिर आदिवासी वोटों पर अपनी पकड़ मज़दूत करना चाहती है. बीजेपी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है.पेसा एक्ट,आदिवासी जननायकों के गुणगान के साथ शिवराज सरकार उन्हें साड़ी, जूता, सैंडल, पानी की बोतल और छाता बांट कर साधना चाहती है.

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