मोदी सरकार दे रही है ये खास बिज़नेस शुरू करने मौका, केवल 50 हजार रुपए लगाकर होगी मोटी कमाई
First published: December 2, 2019,
नई दिल्ली. परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road, Transport and Highways) ने हाल ही में देशभर के नेशनल हाईवे (National Highway) से गुजरने वाली गाड़ियों के लिए टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर एक खास नियम को लागू करने का ऐलान किया है. मंत्रालय ने कहा है कि 15 दिसंबर 2019 से टोल प्लाजा से गुजरने वाली गाड़ियों पर फास्टैग (FASTag) के जरिए टोल पेमेंट (Toll Payment) अनिवार्य हो जाएगा.
सरकार ने यह फैसला डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ यात्रियों को टोल पर लंबी लाइनों से बचने और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया है. ऐसे में केन्द्र सरकार (Central Government) के इस फैसले से आप भी मात्र 50,000 रुपये के निवेश से कमाई कर सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में.
किसे बेच सकते हैं फास्टैग
देशभर के हाईवे पर चलने वाली 4 पहिया या उससे अधिक पहिये वाले वाहनों को फास्टैग लगाना अनिवार्य है. ऐसे में आप उन वाहनों को फास्टैग बेच सकते हैं जो 15 दिसंबर के बाद नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा से गुजरते हैं और उनके वाहन पर कोई फास्टैग नहीं लगा है. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
एक लैपटॉप और प्रिंटर से भी हो जाएगा काम
फास्टैग के लिए प्वाइंट ऑफ सेल एजेंट बनने के लिए आपको मात्र 3 चीजों की ही जरूरत होगी. सबसे पहले तो आपको कम्प्यूटर के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हो. आपको कम से कम, 1 लैपटॉप या डेस्कटॉप, प्रिंटर और बायोमेट्रिक डिवाइस होना चाहिए. साथ में आपको पास क्षमता हो कि आप कम से कम 50,000 रुपये का निवेश कर सकें.
इन लोगों को मिलेगी खास छूट
इसके लिए कोई भी भारतीय नागरिक आवेदन कर सकता है जिसे मार्केट में काम करने का अनुभव हो. हालांकि, उन लोगों को खास वरीयता दी जाएगी जो वर्तमान में आरटीओ एजेंट, कार डीलर, कार डेकोर, ट्रांसपोटर्स, पीयूस सेंटर, फ्यूलिंग स्टेशन, इन्श्योरेंस एजेंट प्वाइंट ऑफ सेल एजेंट (Point of Sale Agent) के तौर पर काम करते हैं.
क्या है फास्टैग और कैसे काम करता है?
सबसे पहले तो यह जान लेते हैं कि आखिर फास्टैग होता क्या है और यह कैसे काम करता है. दरअसल, फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है जो नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर उपलब्ध है. यह तकनीक रेडिया फ्रिक्वेंसी आइडेन्टिफिकेशन (RFID) के प्रिंसिपल पर काम करती है. फास्टैग को वाहनों के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है ताकि टो प्लाजा पर मौजूद सेंसेर इसे रीड कर सकें. जब कोई वाहन टोल प्लाजा पर फास्टैग लेने से गुजरती है तो ऑटोमेटिक रूप से टोल चार्ज कट जाता है. इसके लिए वाहनों को रुकना नहीं पड़ता. 1 बार जारी किया गया फास्टैग अगले 5 साल के लिए वैध होता है.