जानिए कोरोना के 2 नए लक्षण जो भारत सरकार ने बताये है

मुख्य समाचार, राष्ट्रीय

14 जून 2020,

कोरोना वायरस के मामले भारत में बड़ी तेजी से सामने आ रहे हैं. कोविड के सबसे ज्यादा मामलों की लिस्ट में भारत रूस के बाद चौथे स्थान पर पहुंच गया है. इसी बीच भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो नए लक्षणों को कोरोना की लिस्ट में शामिल किया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि सूंघने और स्वाद पहचानने की क्षमता खोना कोरोना के प्रमुख लक्षण हैं. मेडिकल की भाषा में इसे क्रमश: एनोस्मिया एगिसिया कहा जाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले इन दो लक्षणों को आधिकारिक रूप से कोरोना की सूची में दर्ज नहीं कर रखा था.

कोरोना वायरस को लेकर पिछले रविवार (7 जून) को हुई नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में इस पर चर्चा हुई थी कि इन्हें लक्षण माना जाए या नहीं. मई में अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने इन दोनों लक्षणों को लिस्ट में जोड़ा था.

इस सूची में पहले बुखार, खांसी, थकान, सांस लेने में दिक्कत, बलगम, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराबी और दस्त जैसे लक्षण ही शामिल थे. सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा है जो कोरोना पॉजीटिव पाए जाने के बाद सूंघने और स्वाद को पहचानने की शक्ति खो रहे हैं.

जिन लोगों में कोरोना के ये दो नए लक्षण दिखाई दे रहे हैं उनकी टेस्टिंग करना अब बहुत जरूरी हो गया है. अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां मरीजों को खांसी या बुखार की समस्या नहीं हो रही है, लेकिन वे सूंघने और स्वाद को पहचानने की क्षमता खो रहे हैं.

ऐसे भी कई रोगी सामने आए हैं, जिनमें कोरोना के एक या दो लक्षण ही नजर आते हैं. जबकि कुछ एसिम्प्टोमैटिक होते हैं. पिछले सप्ताह ही WHO ने कई देशों से मिली रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि एसिम्प्टोमैटिक मरीजों से कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा सिर्फ 6 प्रतिशत है.

WHO की ऑफिसर मारिया वैन करखोव ने अपने बयान में कहा था, ‘WHO की अधिकारी ने कहा कि जिन लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं नजर आते हैं, उनके जरिए संक्रमण फैलने का खतरा 6 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है. कई स्टडी के मुताबिक, यह वायरस बिना लक्षणों के लोगों में फैल रहा है, लेकिन उनमें से कई या तो एनकोडेटल रिपोर्ट हैं या फिर किसी मॉडल पर आधारित हैं.’

मारिया ने कहा था कि कोविड-19 एक रिस्पिरेटरी डिसीज़ है जो खांसते या छींकते वक्त बाहर आए ड्रॉपलेट्स से फैलती है. उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ सिम्प्टोमैटिक रोगियों पर ध्यान दिया जाए, उन्हें आइसोलेट किया जाए, संपर्क में आए लोगों को देखें और उन्हें भी क्वारनटीन करें तो इसका खतरा काफी कम हो सकता है.

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