कोरोना के इलाज को लेकर ब्रिटेन और चीन से अच्छी खबर, Oxford का दावा- सितंबर तक आ जाएगी वैक्सीन

अंतर्राष्‍ट्रीय, मुख्य समाचार

21 Jul 2020,

लंदन: दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन को लेकर रोज आ रही खबरों ले लोगों में उम्मीद बढ़ा दी है. मानव इतिहास के सबसे बड़े संकटों में से एक कोरोना से इस वक्त पूरी दुनिया में त्राहिमाम मचा है. इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनिया के दो देशों से अच्छी खबर सामने आयी है. लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन चीन कैनसीनो बायोल़जिक्स ने कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण को सफलता पूर्वक पार करने का दावा किया है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टिट्यूटके निदेशक एड्रियन हिल ने कहा, ”दूसरे चरण में हजार से ज्यादा लोगों पर परीक्षण के बाद हमें लगता है कि नतीजे सुरक्षित और विश्वनीय रहे हैं. सभी मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार देखा गया है.” सब ठीक रहा तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सितंबर तक वैक्सीन के दस लाख डोज़ तैयार कर सकती है. एड्रियन हिल ने कहा कि अगर हम दो बिलियन खुराक तैयार कर लेते हैं तो यह बड़ी कामयाबी होगी. हम चाहते हैं कि वैक्सीन बना रही दूसरी कंपनियां भी जुड़ें जससे बोझ हल्का हो सके.”

उन्होंने कहा कि टीके की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने वाले बड़े परीक्षणों में ब्रिटेन के लगभग 10,000 लोगों के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के प्रतिभागी शामिल हैं. ये परीक्षण अभी बड़े पैमाने पर जारी हैं. अमेरिका में जल्द ही एक और बड़ा परीक्षण शुरू होने वाली है, जिसमें लगभग 30,000 लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन और चीन की वैक्सीन में क्या अंतर है?

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन AZD1222 बल प्रोटेक्शन दती है. यानी ये एंटीबॉडी और टी सेल दोनों बनाती है. जबकि चीन की कैनसीबो बायोलॉजिक्स टी वैक्सीन Ad5-nCOV सिर्फ एंटीबॉटी बनाती है.

दोनों वैक्सीन को दूसरे चरण के ट्रायल में सुरक्षित माना गया. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन में मामूली से साइड इफेक्ट दिखे हैं जबकि चीन की वैक्सीन में कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा है.

क्या होता है एंटीबॉडी और T सेल

एंटीबॉडी हमारे शरीर के प्रतिरोधी तंत्र द्वारा तैयार छोटे छोटे प्रोटीन होते हैं. T सेल श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है. एंटीबॉडी कोरोना वायरस को निष्क्रिय कर सकता है. जबति टी सेल संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट कर रोध प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.

कितने लोगों पर हुआ वैक्सीन का ट्रायल

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 1077 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया है जबकि चीन की कैनसीनो बायोलॉजिक्स ने 500 से ज्यादा लोगों पर ट्रायल किया.

दुनियाभर में कहां कहां हो रही वैक्सीन की खोज

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की करीब 160 वैक्सीन पर काम चल रहा है. इनमें से 138 प्रीक्निकल ट्रायल के फेस में हैं. इनमें से 17 पहले फेस में , 9 दूसरे फेज में और तीन वैक्सीन तीसरे फेज में हैं. अभी तक किसी भी वैक्सीन को मंजूरी नहीं मिली है.

कितने फेज में होता है ट्रायल

  1. रिसर्च
  2. प्री क्लीनिकल ट्रायल
  3. क्लीनिकल ट्रायल
  4. मंजूरी
  5. उत्पादन
  6. क्वालिटी कंट्रोल

अभी तक ज्यादातर कंपनियां तीसरे फेज क्लीनिकल ट्रायल तक ही पहुंच पाई हैं. क्लीनिकल ट्रायल में भी तीन चरण होते हैं. पहले चरण में 100 से कम लोगों पर ट्रायल किया जाता है. दूसरे चरण में सैकड़ों और तीसरे चरण में हजारों लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होता है.

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