प्रशांत किशोर: 10 साल में चुनाव को बदलने वाले जादूगर

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‘मेरे पिताजी ने बचपन में मुझे एक चीज सिखाई है. लोगों में खूबी देखने की. वह कहते थे कि अगर किसी आदमी ने कुछ भी हासिल किया है तो उसमें कोई न कोई खूबी ज़रूर होगी. जब आप उससे मिलें तो देखें कि उसकी क्या खूबी है.’ यह बात प्रशांत किशोर ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कही थी. शायद पिता की उसी बात को गांठ बांध साल 2011 में नरेंद्र मोदी के साथ काम करने की शुरुआत करने वाले प्रशांत किशोर पिछले एक दशक में बिहार में नीतीश कुमार, यूपी कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में वाईएस जगनमोहन रेड्डी, तमिलनाडु में स्टालिन, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ काम कर चुके हैं. अब चर्चा है कि वह साल 2024 में कांग्रेस के लिए काम कर सकते हैं या फिर पार्टी ही ज्वाइन कर सकते हैं.

करीब एक दशक से देश की राजनीति के प्रचार तंत्र को पूरी तरह से बदलने वाले प्रशांत किशोर पार्टियों के लिए तो रणनीति बनाते हैं, लेकिन वह खुद के लिए भी एक अलग ही रणनीति बनाकर चलते हुए दिखाई देते हैं. जिससे वह अबूझ पहेली बन गए हैं. वह शख्स जिसने सोशल मीडिया को भारतीय राजनीति का एक मजबूत प्रचार तंत्र बना दिया हो, उसने ट्विटर पर 18 अप्रैल 2022 तक सिर्फ 52 ट्वीट किए हैं. जिस शख्स के बारे में कहा जाता है कि वह जिस भी नेता और पार्टी के लिए काम शुरू करता है, उसे संचार के हर माध्यम में एक मजबूत स्पेस दिलाने में कामयाब हो जाता है. यहां तक पार्टियां फॉलोवर्स देखकर टिकट तक देने लगी हैं. लेकिन, वह शख्स तमाम इंटरव्यू में अपने बारे में कहता है कि वह न तो टीवी देखता है. न अखबार पढ़ता है. लैपटॉप खोले भी वर्षों हो गए हैं. सिर्फ और सिर्फ मोबाइल से काम करता है. है न एक अबूझ पहेली! इसकी कुछ और भी वजहें हैं.

साल 2021 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में जीते के बाद प्रशांत किशोर ने एक टीवी चैनल से कहा था, ‘मैं पोल स्ट्रेटजिस्ट के अपने काम को छोड़ रहा हूं. मैं जो भी कर रहा हूं, उसे आगे नहीं करना चाहता हूं. मैंने पर्याप्त कर लिया है. अब में कुछ समय के लिए ब्रेक लूंगा और फिर आगे जीवन में क्या करना है, उसके बारे में सोचूंगा. मैं इस स्पेस से निकलना चाहता हूं.’ लेकिन, अब ऐसी खबरें हैं कि वह कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं.

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को सुझाव दिया है कि वह यूपी, बिहार और ओडिशा में अकेले उतरे. तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में गठबंधन करे. उन्होंने एक प्रेजेंटेशन में पार्टी की मजबूती और कमजोरी दोनों के तरफ इशारा किया और ये भी बताया कि किस तरह से इसे बेहतर किया जा सकता है.

बिहार के रोहतास जिले से निकलकर बक्सर में पढ़ाई और फिर हैदराबाद से इंजीनियरिंग करने वाले प्रशांत यूनाइटेड नेशन के एक हेल्थ प्रोग्राम में काम कर रहे थे. यूएन के लिए ही बिहार में काम किए. फिर अमेरिका चले गए. इसके बाद दिसंबर 2011 में प्रशांत किशोर तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए और ऐसा कहा जाता है कि कुछ ही महीनो में वह उनके सबसे विश्वासपात्र रणनीतिकार बन गए. वह मुख्यमंत्री के दफ्तर से दूर रहकर ही काम करते थे और सीधे मोदी को रिपोर्ट करते थे. ‘वाइब्रेंट गुजरात’ कैंपेन की शुरुआत के पीछे भी प्रशांत को ही माना जाता है. इसके बाद मोदी तीसरी बार गुजरात के सीएम बन जाते हैं.

इसी दौरान प्रशांत किशोर एसोसिएशन ऑफ सिटीजंस फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) बनाते हैं. इसने साल 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई. यंग प्रोफेशनल्स मोदी कैंपेन की बागडोर संभाली और डेटा निकालना, रिसर्च करना, सोशल मीडिया पोल्स तैयार करना, फिर कैंपेन मैनेजमेंट करना. सारा काम इस टीम ने किया. चाय पे चर्चा, मोदी आने वाला है, रन फॉर यूनिटी, 3डी कैंपेन ये सब कैंपेन इसी टीम ने डिजाइन किया था.

हालांकि, साल 2014 के चुनाव के बाद प्रशांत किशोर बीजेपी से अलग हो गए और बिहार में नीतीश कुमार के साथ जुड़ गए. वह CAG को स्पेशियलिस्ट पॉलिसी आउटफिट, इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी (I-PAC) में बदल दिए. प्रशांत ने इस चुनाव में भी महागठबंधन बनाया और जेडीयू-आरजेडी को साथ लाने में कामयाब ही नहीं हुए, उन्हें जीत भी दिलाई. नीतीश ने इसके बाद उन्हें अपना सलाहकार तक बना लिया था. हालांकि, बाद में वह उनसे भी अलग हो गए.

साल 2017 पंजाब विधानसभा
साल 2017 में प्रशांत किशोर ने पंजाब कांग्रेस के लिए काम किया. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें जिम्मेदारी दी और पीके इसमें सफल हुए. कैप्टन ने इस जीत के लिए पीके के काम की सराहन की थी.

साल 2017 यूपी चुनाव
इस चुनाव में यूपी कांग्रेस ने पीके की सेवा ली. शीला दीक्षित को सीएम फेस बनाया गया. खाट पंचायत बुलाई गई. पूर्वी यूपी से एक यात्रा निकली. लेकिन, इन सबने वैसा काम नहीं किया और कांग्रेस जीत नहीं पाई.

साल 2019 आंध्र प्रदेश चुनाव
इस चुनाव में पीके वाईएस जगनमोहन रेड्डी के लिए काम किए. इसमें प्रजा संकल्प यात्रा, समर शंखरवम जैसे कैंपेन हिट हुए और जगनमोहन ये चुनाव जीतने में कामयाब हुए. 175 सीट में से जगन को 151 सीट पर जीत मिली थी.

2020 दिल्ली चुनाव
इस चुनाव में प्रशांत ने आम आदमी पार्टी के लिए काम किया. इसमें आप की जीत हुई. उसे 70 में से 62 सीट मिली.

2021 पश्चिम बंगाल और तमिल नाडु चुनाव
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु चुनाव में ममता और स्टालिन ने प्रशांत की सेवाएं ली. और प्रशांत ने दोनों को बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ये दोनों चुनाव काफी महत्वपूर्ण थे और प्रशांत इसमें सफल रहे.

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