Mount Abu: माउंट आबू का नाम बदल जाएगा , तो नया नाम क्या होगा ?

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जयपुर : राजस्थान में टूरिज्म के लिहाज से सबसे फेमस और अकेले माउंट आबू में बहुत कुछ बदल सकता है. यहां तक की माउंट आबू का नाम बदलने (Mount Abu Rename) तक की योजना चल रही है. दावा किया जा रहा है कि मई के शुरुआती हफ्ते में खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा यहां आ सकते हैं, जिसके बाद इस बारे में अहम फैसला तक लिया जा सकता है. सिर्फ नाम ही नहीं, यहां और भी बहुत कुछ बदलने की चर्चाएं हैं, जिसमें खानपान भी शामिल है. इसमें शराब और नॉन वेज फूड भी शामिल है. स्थानीय संगठन खासकर होटल यूनियन इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर ये सब हुआ तो इस माउंट आबू घूमने कोई नहीं आएगा, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी और नतीजा लोगों के लिए बहुत सारी दिक्कतें.. आइये जानते हैं इस बारे में डिटेल में…
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि राजस्थान सरकार अपने एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू का नाम बदलने की योजना बना रही है. इसके चलते सोमवार को विरोध के तौर पर माउंट आबू के कुल 23 संगठन एकत्र हुए. इन्होंने माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबू राज तीर्थ’ करने के प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया. इस बारे में पहली बार चर्चा अक्टूबर 2024 में नगरपालिका की बैठक के दौरान हुई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा माउंट आबू नगर निकाय को 25 अप्रैल को लिखे गए एक पत्र के बाद विवाद शुरू हुआ, जिसमें प्रस्तावित नाम बदलने पर इनपुट मांगा था. अखबार को हासिल आधिकारिक दस्तावेजों से पता चला है कि विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय से पहले के कम्युनिकेशन का हवाला दिया है, जो दिखाता है कि नाम बदलने के बारे में चर्चा अक्टूबर 2024 से ही शुरू हो गई थी. इस लैटर में खासतौर पर 15 अप्रैल को उप निदेशक (सांख्यिकी) के यूओ नोट का हवाला दिया गया है, जिसमें प्रस्ताव पर तथ्यात्मक टिप्पणियां यानि फैक्चुअल कमेंट्स देने के लिए कहा गया था. नाम बदलने का विरोध करने वाले संगठनों ने तर्क दिया कि प्रस्ताव में जनता की सहमति नहीं है और ऐसा करने से माउंट आबू की पहचान एक पर्यटन स्थल से धार्मिक तीर्थ स्थल में बदल सकती है.
विरोध जता रहे लोगों का दावा है कि एक मंत्री द्वारा समर्थित एक लोकल एमएलए इस क्षेत्र के प्राचीन धार्मिक महत्व का हवाला देते हुए माउंट आबू में मांस और शराब पर बैन लगाने का दबाव बना रहा है. लोगों की चिंता है कि इस तरह के बैन लगाने से पर्यटकों के लिए हिल स्टेशन का आकर्षण और कम हो सकता है. इनमें से एक ने कहा कि राज्य विधानसभा में एक विधायक जनता की सहमति के बिना नाम बदलना चाहता है. मुख्यमंत्री मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में आबू का दौरा करने वाले हैं और तब निर्णय इस बारे में फैसला लिया जा सकता है.
माउंट आबू होटल एसोसिएशन के सचिव सौरभ गंगाडिया ने इस बारे में कहा कि अगर सरकार हिल स्टेशन का नाम बदलती है तो पर्यटन खत्म हो जाएगा. इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी. शराब और नॉनवेज पर प्रतिबंध लगने के बाद हिल स्टेशन पर कौन आएगा?
नक्की लेक एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सेठ ने माउंट आबू को तीर्थस्थल के रूप में ब्रांडिंग करने को भ्रामक बताया और सुझाव दिया कि इससे यहां आने वाले पर्यटक हतोत्साहित होंगे. सेठ ने कहा, माउंट आबू को अबू राज तीर्थ में बदलने का प्रस्ताव एक भ्रामक संदेश देता है.
टाउन वेंडिंग कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि अगर माउंट आबू को तीर्थस्थल घोषित किया जाता है तो कई तरह के सोशल और धार्मिक प्रतिबंध लगेंगे. उन्होंने चेतावनी भी दी कि माउंट आबू 7 राज्यों में सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है. पर्यटक इसे देखने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं, लेकिन नाम बदलने के बाद शायद वे ऐसा न करना चाहें.
दरअसल, माउंट आबू का ऐतिहासिक महत्व 1830 से है, जब ईस्ट इंडिया कंपनी की राजपूताना एजेंसी ने सिरोही रियासत से इस क्षेत्र को पट्टे पर लिया था. 1845 में इसकी सुखद जलवायु के कारण इसे आधिकारिक तौर पर एजेंसी का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय घोषित किया गया, जिसके कारण इस हिल स्टेशन का विकास हुआ.